मेराज़ रात को क्यूँ हुई दिन को क्यूँ न हुई ?



मेराज़ रात को क्यूँ हुई दिन को क्यूँ न हुई ?

आला हज़रत अश्शाह इमाम अहमद रजा़ खान फाजले बरैलवी अलैहि रहमा फ़रमाते है कि इस मे हिकमत ये है कि मेराज़ वस्ल मोहिब व महबूब है और विसाल (मुलाकात) के लिए आदतन शब (रात) ही उनसब मानी जाती है और रात तज्ल्ली लुत्फ़ी है और दिन तज्ल्ली कहरी और मेराज़ कम़ाले लुत्फ़ है जिस से माफ़ूक़ मुत्सव्वर नही लेहाज़ा तज्ल्ली लुत्फ़ी (यानी रात) ही का वक्त मुनासिब था

(बहवाला फतावा रिज़विया शरीफ जिल्द 12 सफा नः 206)

कत्बा नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी खतीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हजरत मन्सूर शाह रहमातुल्ला अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जिला फतेहपुर उत्तर प्रदेश 

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