कुडे़ की नियाज़ किस तारीख मे करना चाहिए ?



अस्सालामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु

क्या फरमातें है उलमाए एकराम व मुफ्तियान ए एजा़म मसअला के बारे में कि कुंड़ो की फातिहा यानी हज़रत इमाम जाफर सादिक रजी अल्लाहो अन्हो की फातिहा 15 रज्जब को कई जाए या 22 रज्जब को या 27 रज्जब को की जाए बहवाला जवाब इनायत फरमाएं मेहरबानी होगी आपकी फक्त वस्सालाम

साइल> मोहम्मद इरफान नूरी दम्वा एम पी 

व अलैकुम अस्सालाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु

अल जवाब अल्ला हुम्मा हिदायतु अलहक़ बिस्सावाब

माहे रज्जब मे कोंड़े के नाम पर हजरत इमाम जाफर सादिक रजी अल्लहो अन्हो की नियाज़ करना जाइज़ व दुरुस्त है फक़ीहे आज़मे हिन्द हज़रत शदर् सरीयह अलैहि रहमा तहरीर फरमाते है कि माहे रज्जब मे हज़रत सैय्यदना इमाम जाफर सादिक रजी अल्लाहो अन्हो के इसाल व सवाब के लिए पुड़ियो के कुंडे़ भरे जाते है और फातिहा दिलाकर खिलाते है ये जाइज़ है 
(हवाला बहार ए शरीअत हिस्सा 16 सफा नः 244) 

लेकिन 22 रज्जब को के बजाए हज़रत इमाम जाफर सादिक रजी अल्लाहो अन्हो की नियाज़ 15 रज्जब को करें क्योंकि हज़रत का विसाल 15 रज्जब ही को हुआ है न कि 22 रज्जब को अलबत्ता 22 रज्जब को हज़रत अमीरे माविया रजी अल्लाहो अन्हो का विसाल हुआ है तो शिया उस तारीख मे हज़रत अमीरे माविया रजी अल्लहो अन्हो के विसाल मे खुशी मे ईद मनाते हैं और अज़ राह फरेब उसे हज़रत इमाम जाफर सादिक रजी अल्लहो अन्हो की नियाज़ कहते हैं लेहाज़ा सुन्नी हज़रात पर लाज़िम है कि वो शियाओं की मुवाफिक़त से दूर रहें 22 रज्जब को हज़रत इमाम जाफर सादिक रजी अल्लाहो अन्हो की नियाज़ हरगिज़ न करें बल्कि 15 रज्जब को हज़रत का विसाल हुआ है तो उसी तारीख मे उनकी नियाज़ करें 

(बा हवाला फतावा फकीह़े मिल्लत जिल्द 02 सफा नः 265)

वल्लाहो आलमु बिस्सवाब

कत्बा नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी खतीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हजरत मन्सूर शाह रहमातुल्ला अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जिला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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