अस्सालामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु
क्या फरमातें है उलमाए एकराम व मुफ्तियान ए एजा़म मसअला के बारे में कि मुस्ल्ले पर मक्का या मदीना मुनौवरा का नक्शा छपा हो तो उस मुस्ल्ले पर नमाज़ अदा करना कैसा बहवाला जवाब इनायत फरमाएं मेहरबानी होगी आपकी फक्त वस्सालाम
साइल> मोहम्मद शाकिर रज़वी कोड़ा जहानाबाद जिला फतेहपुर उत्तर प्रदेश
व अलैकुम अस्सालाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु
अल जवाब अल्ला हुम्मा हिदायतु अलहक़ बिस्सावाब
जिस मुसल्ला पर काबा मुक्दसा या किसी मोतबर्क मुक़ाम का नक्शा एैसा साफ बना हो कि उसे देखते ही फौरन ज़ेहन अस्ल की तरफ जा पहुंचे तो उसका इजाज व इकराम अस्ल की तरह ही होगा
जैसा कि सैय्यदना सरकारे आला हजरत अजी़म उल बरकत अश्शाह इमाम अहमद रजा़ खान फाजले बरैलवी अलैहि रहमा तहरीर फरमाते है कि उलमाए दीन ने नक्शा का इज़ाज़ व इक़राम वही रखा है जो अस्ल का रखते हैं
(फतावा रिज़विया शरीफ जिल्द 09 सफा नः 150)
लेहाज़ा इस तरह के मुस्ल्ले पर नमाज़ पढ़ना उस वक्त जाइज़ होगा जब कि पैर न पड़ता हो मगर बेहतर यही है कि बगैर नक्श वाले मुस्ल्ले का इस्तेमाल किया जाए और अगर पैर पड़ता हो नक्श पर यानी उसका इहतेराम न होता हो तो उसका बिछाना ना जाइज़ नही
(ब हवाला फतावा अलीमिया जिल्द 01 सफा नः 238)
वल्लाहो आलमु बिस्सवाब
कत्बा मोहम्मद अफसर रजा़ हशमती सादी अल हिन्द
ट्रांसलेट मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी