अस्सालामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु
क्या फरमातें है उलमाए एकराम व मुफ्तियान ए एजा़म मसअला के बारे में कि देवबन्दी और वहाबी सुन्नी मुसलमान सह्हिउल अकीदा़ को सलाम किया और उसने जवाब दिया तो क्या उसकी बीवी उसके निका़ह मे है या नहीं बहवाला जवाब इनायत फरमाएं मेहरबानी होगी आपकी फक्त वस्सालाम
साइल> गुलाम रसूल मुका़म तिलोकीपुर उत्तर प्रदेश
व अलैकुम अस्सालाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु
अल जवाब अल्ला हुम्मा हिदायतु अलहक़ बिस्सावाब
किसी वहाबी देवबन्दी के सलाम का जवाब देना हराम है जब कि उसे वहाबी देवबन्दी ही समझ कर जवाब दिया हो हा अगर उसकी ब्द मज़बही हद्दे कुफ्र को पहुंच चुकी है और सुन्नी सह्हिउल अकीदा़ जिसने वहाबी देवबन्दी के सलाम का जवाब दिया वो उसके अकीदे़ से वाकिफ़ भी है फिर भी उसे मुस्लमान समझ कर उसके सलाम का जबाव दिया तो जवाब देने वाला काफिर हो गया उसकी बीवी उसके निका़ह से निकल गई यानी तजदीदे ईमान करे तजदीदे निका़ह करे अगर किसी पीर से बैअत है तो तजदीदे बैअत भी वहाबी देवबन्दी के अका़ईद कुफ्रि़या कत्इया की बुनियाद पर उलमाए अरब व अज़म हिंद व पाक के सैकड़ों उलेमाओं ने कुफ़्र का फतवा लगाया और फरमाया कि
من شک کفرہ وعذابہ فقد کفر
तर्जुमा:जो उनके (ब्द अकीदो़ के) कुफ़्र व अजा़ब मे शक करे वो भी काफ़िर है
तफ़सील के लिए सरकार ए आला हज़रत की मशहूर ज़माना किताब फतावा हस्सामुल हरमैन का मुअतला करें
वल्लाहो आलमु बिस्सवाब
कत्बा मौलाना मोहम्मद मासूम रजा़ नूरी
हिन्दी ट्रांसलेट मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी
0 Response to "वहाबी देवबन्दी के सलाम का जवाब देना कैसा"
एक टिप्पणी भेजें