अस्सालामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु
क्या फरमातें है उलमाए एकराम व मुफ्तियान ए एजा़म मसअला के बारे में कि सदरी या जाकेट के बटन खोलकर नमाज़ पढ़ना कैसा बहवाला जवाब इनायत फरमाएं मेहरबानी होगी आपकी फक्त वस्सालाम
साइल> मोहम्मद दानिश रजा़ फतेहपुर उत्तर प्रदेश
व अलैकुम अस्सालाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु
अल जवाब अल्ला हुम्मा हिदायतु अलहक़ बिस्सावाब
सदरी या जाकेट की चैन या बटन खोल कर अगर नमाज़ पढ़ी गई तो भी नमाज़ हो जाएगी
जैसा कि हुजूर फकी़ह मिल्लत अलैहि रहमा फतवा रिज़विया के हवाले से तहरीर फरमातें है कि अंगरखे जो सदरी या जुग्गा पहनते हैं और उर्फेआम में उनका कोई बुताम भी नहीं लगाते और उसे मअयूब भी नहीं और उसे मअयूब भी नही समझते तो उसमे हर्ज नही होना चाहिए कि ये खिलाफ़ मुअताद नही
ब हवाला फतावा रिज़विया जिल्द 03 सफा नः 447
लेहाजा इस तरह कपड़ा पहन कर नमाज़ पढ़ा कि नीचें के कुर्ते का सारा बटन बंद है और उपर शेरवानी या सदरी का कुल या बआज बटन खुला है तो हर्ज नही और जो बहार ए शरीअत मे मकरूह तंजिही का हुक्म किया गया है आला हज़रत अश्शाह इमाम अहमद रजा़ खान अलैहि रहमा की मजकूरा बाला तहरीर से जाहिर है कि वो उस सूरत में है जहाँ सदरी या शेरवानी के कुल या बआज बटन के खुला रहने को मअयूब समझा जाता हो
ब हवाला फतावा फकी़ह मिल्लत जिल्द 01/सफा नः 174/175
नोट: अगर सदरी या शेरवानी के कुछ बटन खुले हो तो भी नमाज़ हो जाएगी इसमे कोई मुजाइका़ नही लेकिन नीचें कुर्ते के बटन बंद हो
वल्लाहो आलमु बिस्सवाब
कत्बा नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी खतीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हजरत मन्सूर शाह रहमातुल्ला अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जिला फतेहपुर उत्तर प्रदेश
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