पीर साहब को खुदा कहना कैसा

पीर साहब को खुदा कहना कैसा

पीर साहब को खुदा कहना कैसा


अस्सालामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु

क्या फरमातें है उलमाए एकराम व मुफ्तियान ए एजा़म मसअला के बारे में कि अपने पीर साहब को खुदा कहना कैसा बहवाला जवाब इनायत फरमाएं मेहरबानी होगी आपकी फक्त वस्सालाम

साइल> मोहम्मद वारिस अली बलिया

व अलैकुम अस्सालाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु


अल जवाब अल्ला हुम्मा हिदायतु अलहक़ बिस्सावाब

न अऊज़ बिल्लाह मिन शुरूरे अनफुसिना खुदा ए तआला के किसी बुजुर्ग या वली को या अंबिया या मुरसलीन को खुदा कहना या खुदा का शरीक समझना सरीह कुफ़्र है ऐसा कहने वाला दाएरे इस्लाम से खारिज हो गया उसे तज़वीद ए ईमान व तज़वीद ए निका़ह करना जरूरी है जब तक वह तौबा ना कर के फिर से इस्लाम ना कबूल करें और अगर शादीशुदा है तो दोबारा निकाह ना करें तो मुसलमानों को चाहिए ऐसे शख्स से सलाम कलाम मेल जोडल कतई तौर पर तर्क कर दें कुरआन मज़ीद में है 

وَاِمَّا یُنْسِیَنَّکَ الشَّیْطٰنُ فَلاَ تَقْعُدْ بَعْدَالذِّکْرٰی مَعَ الْقَوْمِ الظَّلِمِیْنَ

तर्जुमा:और जो कहें तुझे शैतान भुला दे तो याद आए पर जालिमों के पास न बैठ 

(कंजुल ईमान)

ब हवाला इदारा ए शरीअह जिल्द 01 सफा नः 118

वल्लाहो आलमु बिस्सवाब

कत्बा नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी खतीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हजरत मन्सूर शाह रहमातुल्ला अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जिला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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