एडवांस ज़कात देने से अदा हो जाएगी या नहीं ?

 


सवाल क्या पेशगी (एडवांस) ज़कात देने से अदा हो जाएगी या नहीं ?

जवाब ज़कात पेशगी दे सकते हैं (और अदा भी हो जायेगी) लेकिन इस के लिए दो शराइत हैं

(1) देने वाला मालिके निसाब हो (2) इख्तितामे साल पर निसाब मुकम्मल हो

अगर दोनों में से एक भी शर्त कम होगी तो दिया जाने वाला माल नफ्ली सदक़ा शुमार होगा

पेशगी हिसाब का तरीक़ा

जो साहिबे निसाब भाई बहन थोड़ी थोड़ी कर के पेशगी ज़कात देना चाहते हैं उन्हें चाहिए कि वह अपने पास मौजूद कुल माले ज़कात (सोना चांदी करंसी नोट माले तिजारत) अंदाज़न हिसाब लगा लें फिर कुल माले ज़कात की क़ीमत का 2.5% बतौरे ज़कात अलग अलग कर लें, फिर अगर वोह माहाना (हर महीने) के हिसाब से से देना चाहे तो ज़कात की रक़म को 12 पर तक़्सीम कर ले और अगर हफ्तावार (हर हफ्ते) देना चाहें तो 48 पर और अगर रोज़ाना देना चाहे तो 360 पर तक़्सीम कर लें फिर जब साल तमाम हो तो ज़कात का मुकम्मल हिसाब कर लें और जो कमी हो उसे पूरा करे

पेशगी ज़कात ज़ियादा चली गई तो उसे आइंदा साल की ज़कात में शामिल कर ले

मसअला : जिस फ़क़ीर को पेशगी ज़कात दी थी वह साल के इख्तिताम (खत्म होने) पर मालदार हो गया या मर गया या मुर्तद हो गया तो ज़कात अदा हो गई

और अगर इख्तितामे साल पर निसाब बाक़ी ना रहा तो ऐसी सूरत में सब नफ्ली सदक़े में शुमार होगा (यानी ज़कात अदा नहीं होगा क्योंकि देना फर्ज़ नहीं पाया गया इसलिए वोह नफ्ल सदक़ा कहलाएगा)

वल्लाहु तआ़ला आलमु बिस्वास 

📚 फतावा हिंदिया जिल्द अव्वल सफ़ा 176 📚 फतावा आलमगीरी जिल्द अव्वल सफा 423_424

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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