☆ बच्चों की अख्लाकी तरबियत ☆
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मिस्र में दो अमीर जादे थे. एक ने इल्म सीखा और दूसरे ने दौलत कमाई हत्ता कि मिस्र का बादशाह बन गया
फिर क्या हुवा कि बादशाह आलिम को हेकारत से देख कर कहा करता था कि देखो इसने इल्म सीखने में वक्त जाए किया और आज नाने शबीना को मुहताज है. एक मैं हूँ कि दौलत के हुसूल की कोशिश के सबब आज अज़ीज़े मिस्र बन चुका हूँ
आलिम ने उसकी बात सुन कर कहा खुदा की नेमत का शुक्र अदा करना मुझ पर ज्यादा वाजिब है क्यों मैंने पैगम्बरों की मीरास पाई है यानी इल्मो हिकमत और तुझे फिरऔन व हामान का तरका मिला है यानी मालो दौलत
प्यारे प्यारे बच्चो उस आलिम ने दरअस्ल आका अलैहिस्सलातो वस्सलाम की इस हदीस की तरफ इशारा किया था
उलमा पैगम्बरों के वारिस होते हैं जिनकी विरासत इल्म होती है
📗 (सही बुखारीः 1/119)
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कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश
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