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📝 आला हज़रत अलैर्रहमा फरमाते है हलाल जानवर के सब आज्ज़ा हलाल है मगर बाज़ कि हराम या ममनुअ या मकरूह है
•┈► रगो का खून
•┈► पित्ता
•┈► फुकना (यानी मसाना)
•┈► अलामाते मादा व नर
•┈► बैज़े (यानी कपुरे)
•┈► गुदुद
•┈► हराम मग्ज़
•┈► गर्दन के दो पठ्ठे कि शानो तक खिचे होते है
•┈► जिगर (यानी कलेजी) का खून
•┈► तिल्ली का खून
•┈► गोश्त का खून की बादे ज़बह गोश्त में से निकलता है
•┈► दिल का खून
•┈► पित यानि वो ज़र्द पानी कि पित्ते में होता है
•┈► नाक की रतुबत, कि भेड़ में अक्सर होती है
•┈► पाखाने का मक़ाम
•┈► ओझड़ी (पाचौनी)
•┈► आंते
•┈► नुत्फा (मनी) वो नुत्फा कि खून हो गया वो नुत्फा कि गोश्त का लोथड़ा हो गया वो नुत्फा की पूरा जानवर बन गया और मुर्दा निकला या बे ज़बह मर गया।
•┈► समझदार कस्साब बाज़ ममनुआ चीज़े निकल दिया करते है मगर बाज़ में इन को भी मालूमात नही होती या बे एहतियाती बरतते है
🔰अब्लाक़ घोड़े सुवार सफा नः 37📕
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कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश
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