अक़ाईद का बयान पोस्ट04
सवाल- एहले सुन्नत किसे कहते हैं?
जवाब- हुज़ूर अनवर सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम सहाबए किराम ताबेईन और तबए ताबेईन के तरीक़े पर चलने वालों को एहले सुन्नत कहते हैं।
(ततहिरुल जिनान वल्लिसान पेज 9)
सवाल- एहले कुरान किन लोगों को कहते हैं?
जवाब- उन लोगों को कहते हैं जो कलमा गो होकर हमारे किबले की तरफ़ मूँह करके नमाज़ पढ़ते हों और तमाम बातों को मानते हों जिनका सुबूत शरीअत से यकीनी और मशहूर है जैसे दुनिया के लिए हुदूस जिसमों के लिए हशर(क़यामत)अल्लाह के लिए कुल्लियत व जुज़यात का इल्म,नमाज़,रोज़ा,का फर्ज़ होना वगैरह जो शख़्स इनमें से किसी बात का इन्कार करे वह एहले कुरान नही अगरचे इबादतों की परेशानी बरदाश्त करता हो।
(शरह फिक़हे अकबर लिअलीकारी सफ़्हा 154/निबरास सफ़्हा 572)
सवाल- इन बयान किये गऐ फ़िरकों के लिए क्या हुक्म है और उनके साथ मेल जोल रखना जाइज़ है या नहीं?
जवाब वहाबी,देवबन्दी,राफ़ज़ी,तबर्राई,क़ादयानी,मौदूदी,चकड़ालवी,गैर मुक़ल्लिद,जो भी दीन की ज़रूरी बातों में से किसी चीज़ का इन्कार करने वाला है सब काफ़िर व मुर्तद हैं और जो कोई उनकी लानत वाली बातों पर आगाह होकर उनके कुफ्र में शक करे वह भी काफिर है उनके साथ मेल-जोल रखना खाना-पीना सलाम-व-कलाम इसी तरह मौत व जिन्दगी में शरीक होना वगैरह सब नाजाइज़ व हराम है।
(फतावा रिजविया जिल्द 1 सफ्हा 191/जिल्द 6 सफ्हा 95)
सवाल- ईमान किसे कहते हैं?
जवाब- जिन बातों का पेश करना हुजूर सल्ललाहो अलैही वसल्लम से यक़ीनी और क़तई तौर पर साबीत हैं उन बातों की तसदीक़ का नाम ईमान हैं।
(शरह फिक़हे अकबर लिअलीकारी सफ़्हा 86)
सवाल- क्या ईमान कमी-ज़ादती कुबूल करता है?
जवाब- नहीं,अस्ल ईमान दिल की तस्दीक हैं और तसदीक़ एक कैफ(हालत)है यानी एक हालते इज़आनीया जौ मिक़दार कै एतेबार से कमी ज़्यादती कुबूल नहीं करती अलबत्ता उनमें कमज़ोरी और शिददत होती है।
(शरह अक़ाइद सफ़्हा 93/बहारे शरीअत जिल्द 1 सफ़्हा 45)
सवाल- कुफ़् किसे कहते है?
जवाब- जिन बातों का पेश करना हुजूर सल्ललाहो अलैही वसल्लम से यक़ीनी और क़तई तौर पर साबीत है उनमें से किसी एक बात का इन्कार करना कुफ़् है।
(शरह अक़ाइद सफ़्हा 61)
सवाल- शिर्क किसे कहते हैं?
जवाब- अल्लाह तआला के सिवा किसी दूसरे के वुजूद को वाजिब मानना या किसी और को इबादत के लायक समझना शिर्क हैं,
हजरत शेख़ अब्दुल हक मुहदिदस देहलवी फरमाते हैं कि शिर्क तीन किस्म का हैं
पहला तो यह कि अल्लाह तआला के इलावा किसी और के वुजूद को वाजिब माने
दूसरा यह कि खुदा के सिवा किसी और को पैदा करने वाला माने
तीसरा यह कि खुदा के सिवा किसी और को भी इबादत के लायक समझे।
(अशिअअतुल लमआत जिल्द 1 सफ़्हा 72)
सवाल- मुहाल की कितनी किसमें हैं?
जवाब- मुहाल की तीन किसमें हैं, मुहाल अ़क़ली, मुहाल शरई,मुहाल आदि, मुहाल अ़क़ली कुदरत के अन्दर दाख़िल नहीं।
(अलमुअ्तक़द दुलमुन्तक़द सफ़्हा 29व30)
सवाल- क्या अल्लाह तआला की कुदरत सिर्फ़ मुमकिन चीज़ों से मुताल्लिक है?
जवाब- जी हाँ सिर्फ़ मुमकिन चीज़ो से मुताल्लिक है वाजिब और मुहाल चीज़ों से नही।
(सावी ज़िल्द 1 सफ़्हा 276)
सवाल- क्या अल्लाह तआला वाजिब और मुहाल चीज़ों का इरादा भी नहीं करता?
जवाब- नही इरादें का तआललुक सिर्फ मुमकिन चीज़ों से हैं, वाजिब और मुहाल से नही।
(सावी जिल्द 1 सफ़्हा 14)
सवाल- जब अल्लाह तआला की क़ुदरत वाजिब और मुहाल से मुताल्लिक नही तो क्या अल्लाह तआला की कुदरत अधुरी है?
जवाब- नही, अधुरी तो जब हौती कि कौई चीज़ क़ुदरत के अन्दर दाख़िल होती और फिर न कर सके यहाँ ऐसा नही है क्योंकि वाजिब और मुहाल में तो क़ुदरत के ताल्लुक़ की बिलकुल सलाहियत ही नही लिहाजा कुदरत के अधुरा हीने का सवाल ही नही होता।
(फ़तवा रिज़विया जिल्द6 सफ़्हा215)
सवाल- क्या मुश्रिकों की बख़शिश हो सकती है?
जवाब- मुश्रिकों की बख़शिश अक़ल के एतेवार से मुमकिन है और शरीअत के लिहाज़ से मुहाल है।
(सुब्हानुस्सुबबूह सफ़्हा82)
सवाल- क्या काफ़िरो का जन्नत में दाख़िल होना मुमकिन है?
जवाब- जमहूर एहले सुन्नत के नजदीक शरीअत के एतेवार से मुहाल है और अक़ल के एतेवार से मुमकिन है
(सुब्हानुस्सुबबूह सफ़्हा82)
कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश
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