क्रिसमस डे मनाना या मुबारकबाद देना कैसा


सवाल क्रिसमिस डे को अच्छा समझे बगैर या उसकी ताज़ीम किए बगैर उसकी मुबारक बाद देना कैसा ?

जवाब क्रिसमस डे को अच्छा समझे बगैर या उसकी ताज़ीम किए बगैर भी उसकी मुबारकबाद देना नाजाइज़ व हराम है।

और जो वज़रा क्रिसमस डे की मुबारकबादी देते हैं या उनके महफिल में शरीक होते हैं या ईसाइयों को उस दिन तोहफे तहाइफ़ देते हैं और अगर वो लाइके ताज़ीम समझ कर देते हैं तो कुफ्र है, उन पर तौबा तजदीदे ईमान लाज़िम है और अगर बीवी वाले हैं तो तजदीदे निकाह भी ज़रूरी है और अगर किसी साहब शरई पीर से मुरीद हों तो बैत भी हों लें और अगर लाइके ताज़ीम समझ कर मुबारकबादी पेश नहीं करते हैं तो नाजाइज़ व हराम है

फतावा तातर खानिया में है कि एक हिकायत बयान की गई है कि अगर आदमी पचास साल अल्लाह अज़्ज़वाजल की इबादत करे फिर निरोज़ का दिन (काफिरों का मख़सूस दिन) आ जाए और वो उस दिन की ताज़ीम में बाज़ मुशरीक़ीन को कोई तोहफा दे अगरचे अंडा ही हो तो बेशक उसने कुफ्र किया और उसके आमाल बर्बाद हो गए¹

📚नक़ल शुदा फतावा मसाइले शरईय्या

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कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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