टॉयलेट पेपर और जदीद साइंस
टॉयलेट पेपर बनाने में बे शुमार कैमीकल इस्तेमाल होते हैं बाज़ कैमीकल तो इन्तिहाई जान लेवा हैं जिस से खाल के मर्ज़ ऐगज़ीमा और खाल में रंगत की तब्दीली के मर्ज़ पैदा हो सकते हैं
इस वक़्त तमाम यूरोप टॉयलेट पेपर इस्तेमाल करता है पिछले दिनों अख़बारात ने इस ख़बर को शाए किया कि इस वक़्त यूरोप में शर्मगाह के जानलेवा मर्ज़ ख़ास तौर पर कैंसर तेज़ी से फैल रहा है इस बीमारी को रोकने के लिए जब तहक़ीक़ी बोर्ड बैठा तो इस बोर्ड की रिपोर्टें आखिर में सिर्फ दो चीजें थीं टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल करना और पानी का इस्तेमाल ना करना
यूरोप ने हमें यह तरीक़ा काग़ज़ की शक्ल में दिया है यह हमारे लिए बेहतर है या नुक़सान दह? फैसला आपके हाथ में है
चूंके यूरोपैन इस्तन्जा के लिए सिर्फ टोयलैट पेपर ही इस्तेमाल करते हैं और पानी का इस्तेमाल नहीं करते इस लिए टोयलेट पेपर उनके लिए जान लेवा साबित होता है लेकिन अगर टोयलेट पेपर के इस्तेमाल के बाद पानी का इस्तेमाल भी किया जाए तो उसके नुक़सान ना होने के बराबर होते हैं
खड़े होकर पेशाब करने से मना और जदीद साइंस
इस्लाम बैठ कर पेशाब करने का हुक्म देता है अगर खड़े होकर पेशाब किया जाए तो उसके अन्दरूनी व बेरूनी नुक़सानात बढ़ जाते हैं
चूंके पेशाब जरासीमों से पुर होता है और बाज़ औक़ात उस में बाज़ मर्ज़
( सूजन जलन गुरदों के जरासीमी इंफैकशन वग़ैरह)
की वजह से पीप भी मोजूद होती है खड़े होकर पेशाब करने से उसके छींटे बदन और लिबास को आलूदा कर देंगे
इस से ग़द्दा क़दामिया पर बुरा असर पड़ता है और फिर उस पर वरम आ जाता है और वो बढ़ जाता है जिस से पेशाब का बन्द हो जाना पेशाब का क़तरा क़तरा आना तकलीफ से आना धार का पतला होना जैसे मर्ज़ पैदा हो सकते हैं
📘 इबादत और जदीद साइंस सफह 22
कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश
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