क़िब्ला रू बैठना कैसा


         क़िब्ला रुख़ बैठने से मना और जदीद साइंस


ताजदार ए मदीना सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के इरशाद के मुताबिक़ पेशाब व पाख़ाना करते वक़्त क़िबले की तरफ रुख़ करके बैठना मना फरमाया गया है बल्कि क़िब्ला रुख़ मुँह करके थूकने और नाक की रैन्ठ फैंकने से भी मना फरमाया गया है (📚सही बुख़ारी )

इस ज़िम्न में जदीद साइंसी तहक़ीक़ क्या कहती है आइये मुलाहिज़ा फरमाइये

डाकटर डारवन डाकटर अलैगज़ैन्डर की मुशतरिका तहक़ीक़ कहती है कि कासमिक शुआओं का निज़ाम यानी काएनाती शुआई निज़ाम इंसानी ज़िन्दगी पर पूरी तरह ग़ालिब है इस निज़ाम में मुसबत और मनफी दोनों क़िस्म की शुआएं शामिल हैं यह डाकटर साहिबान एक तवील अर्से तक उन्हीं मुसबत और मनफी शुआओं के चक्कर में उलझे रहे और उनके माख़ज़ दरयाफ्त करने की कोशिश करते रहे बिल आखिर इस नतीजे पर पहुंचे के ख़ान ए काअबा के चारों अतराफ से मुसबत शुआएं मुसलसल ख़ारिज हो रही हैं जबकि बोल व बराज़ थूक व नाक की रैन्ठ वग़ैरह ख़ालिस तरीन मनफी शुआओं का हिस्सा हैं अब जब कोई रफ ए हाजत के लिए क़िब्ला रुख़ हो कर बैठेगा या उसकी तरफ नाक की रैन्ठ या थूक फैंकेगा तो ज़ाहिर है वो कअबे की तरफ मनफी शुआएं ही फैंकेगा यह मनफी शुआएं कअबे की तरफ से आने वाली मुसबत शुआओं से टकरा कर ख़ुद तो चकनाचूर हो जाती हैं अलबत्ता आदमी पर उसके बुरे असरात मुरत्तब होते हैं

ईमान से बताइए आज जो कुछ साइंस साबित कर रही है क्या महबूब ए किबरिया ने वो सब कुछ आज से साढ़े चोदह सौ साल पहले ही न जानते थे और कासमिक निज़ाम की हक़ीक़त को न पैहचानते थे? यक़ीनन जानते थे इसी लिए तो मज़कूरा बाला अफआल से मना फरमाते थे 

जदीद साइंस रसूल ए पाक के इस क़ज़ाए हाजत के तरीक़े पर मुसलसल रिसर्च कर रही है और अब वो इस बात पर आ गई है कि सेहत व ज़िन्दगी की बक़ा और ख़ुशहाली के लिए इस तरीक़े से बढ़कर कोई तरीक़ा नहीं है इस तरीक़े से गैस बद हज़मी और गुरदों के अमराज़ वाक़ई कम हो जाते हैं मुसतक़िल करने से ये मरज़ बिलकुल ख़तम हो जाते हैं 📘 इबादत और जदीद साइंस सफह 16)

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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