सवाल इमाम की निय्यत चार फ़र्ज़ों की थी पहली दो रक्अत ख़त्म कर चुका था बीच में अत्तहिय्यात भूल गया और अल्लाहु अक्बर कह कर खड़ा हो गया बाद को मुक्तदी ने बताया वोह बैठ गया, अत्तहिय्यात पढ़ी और आखिर में सज्दए सह्व किया। आया मुक्तदी की, इमाम की नमाज़ हुई या नहीं?
जवाब अगर इमाम अभी पूरा सीधा खड़ा न होने पाया था कि मुक्तदी ने बताया और वोह (यानी इमाम) बैठ गया तो सब की नमाज़ हो गई और सज्दए सह्व की हाजत(ज़रूरत) न थी और अगर इमाम पूरा खड़ा हो गया था इस के बाद मुक्तदी ने बताया तो मुक्तदी की नमाज़ उसी वक्त जाती रही और जब उस के कहने से इमाम लौटा तो उस की भी गई और सब की गई और अगर मुक्तदी ने उस वक्त बताया था कि इमाम अभी पूरा सीधा न खड़ा हुवा था कि इतने में पूरा सीधा हो गया इस के बाद लौटा तो मज्हबे असह्ह में नमाज़ हो तो सब की गई मगर मुख़ालफ़ते हुक्म के सबब मरूह हुई कि सीधा खड़ा होने के बाद कादए ऊला के लिये लौटना जाइज़ नहीं नमाज़ का इआदा करें खुसूसन एक मज़हबे क़वी पर नमाज़ हुई ही नहीं तो इआदा फ़र्ज़
(फ़तावा रिज़विय्या स. 214 जि. 08 रज़ा फ़ाउन्डेशन लाहोर)
📚 नमाज़ में लुक़्मा देने के मसाइल, स. 29
कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश
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