शबीह कर्बला दुकान या मकान में रखना कैसा


सवाल  शोहदाए करबला के रौजों की तस्वीरें और नक्शे घरों और दुकानों में आवीज़ा (लगाना) कर सकते हैं या नहीं ? 

जवाब शैखुल हदीस हजरत अल्लामा मौलाना अब्दुल मुस्तफा आज़मी रहमतुल्लाह अलैह इरशाद फरमाते हैं हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु और शोहदाए करबला रदियल्लाहु तआला अन्हुम के मुकद्दस रौजों की तस्वीर नक्शा बना कर रखना और उन को देखना यह तो जाईज़ है। क्योंकि यह एक गैर जानदार चीज की तस्वीर या नक्शा है। लिहाज़ा जिस तरह कअबा बैतुल मुकद्दस नअलैन शरीफैन वगैरह की तस्वीरें और उन के नक्शे बना कर रखने को शरीअत ने जाईज़ ठहराया है। इसी तरह शोहदाए करबला के रौजों की तस्वीरें और नक्शे भी यकीनन जाईज़ ही रहेंगे। लेकिन हर साल सैंकड़ों हजारों रूपये के खर्च से रौज़ए करबला का नक्शा बना कर उसको पानी में डुबू देना या जमीन में दफन कर देना या जंगलों में फेंक देना यह यकीनन हराम व नाजाईज़ है क्योंकि यह अपने माल को बरबाद करना है। और मुसलमान जानता है कि माल को ज़ाए और बरबाद करना हराम व नाजाईज़ है 📕 (जन्नती जेवर तखरीज़ शुदा सफा 165 166)

हकीमुल उम्मत ताजदारे गुजरात मुफस्सिरे शहीर हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ्ती अहमद यार खान नईमी रहमतुल्लाह अलैह भी इरशाद फरमाते हैं। अगर (हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु के मज़ार शरीफ का) सहीह नक्शा तय्यार किया जाए जिस की ज़ियारत की जाए उसे दफन न किया जाए बल्कि महफूज़ रख्खा जाए बिला शुबहा जाईज़ है 

📙 (फतावा नईमिया सफा 192)

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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