मुसाफ़िर की नमाज़ का बयान !?
सवाल👇
मुसाफ़िर किसे कहते हैं
जवाब👇
शरीअत में मुसाफ़िर वो शख़्स है जो तीन (3) रोज़ की राह तक जाने के इरादा से बस्ती से बाहर हुआ,
सवाल👇
मील के हिसाब से तीन (3) रोज़ की राह की मिक़दार कितनी है
जवाब👇
ख़ुश्की में तीन (3) रोज़ की राह की मिक़दार 57---3/8, मील है (57---3/8, मील नए हिसाब से तक़रीबन 92, किलोमीटर है)
📚 बहारे शरीअत
सवाल👇
अगर कोई शख़्स मोटर, रेलगाड़ी या हवाई जहाज़ वग़ैरह से तीन (3) दिन की राह थोड़े वक़्त में तैय करले तो मुसाफ़िर होगा या नहीं
जवाब👇
मुसाफ़िर हो जाएगा ख़्वा कितनी ही जल्दी करे,
📚 बहारे शरीअत
सवाल👇
अगर तीन (3) रोज़ की राह के इरादा से निकला मगर ये भी इरादा किया के दरमियान में एक दिन ठहरूंगा तो मुसाफ़िर होगा या नहीं
जवाब👇
अगर तीन दिन की राह के इरादा से निकला है और दरमियान में ठहरना ज़िमनी तौर पर है तो मुसाफ़िर है, और अगर इस इरादा से निकला के दो दिन की राह पर जाता हूं फिर वहां से एक दिन की राह पर जाऊंगा तो मुसाफ़िर ना होगा
सवाल👇
मुसाफ़िर पर नमाज़ के बारे में क्या हुक्म
जवाब👇
मुसाफ़िर पर वाजिब है के क़सर करे यानी ज़ोहर, असर, और इशा चार रकअत वाली फ़र्ज़ नमाज़ को दो पढ़े कि इसके हक़ में दो ही रकअत पूरी नमाज़ है
सवाल👇
अगर किसी ने क़सदन चार ही पढ़ी तो क्या हुक्म है,
जवाब👇
अगर क़सदन चार पढ़ी और दोनों क़अदा किया तो फ़र्ज़ अदा हो गया और आख़िरी दो रकअतें नफ़्ल हो गईं मगर गुनाहगार व मुस्तहिक़े नार हुआ तौबा करे, और अगर दो रकअत पर क़अदा न किया तो फ़र्ज़ अदा न हुआ
📚 हिदायह 📚 आलम गीरी
सवाल👇
फ़जर, मग़रिब और वित्र में क़सर है कि नहीं
जवाब👇
नहीं, फ़जर, मग़रिब और वित्र में क़सर नहीं है
सवाल👇
सुन्नतों में क़सर है या नहीं
जवाब👇
सुन्नतों में क़सर नहीं है अगर मौक़ा हो तो पूरी पढ़ें वरना मुआफ़ हैं
सवाल👇
मुसाफ़िर किस वक़्त से नमाज़ में क़सर शुरू करे,
जवाब👇
मुसाफ़िर जब बस्ती की आबादी से बाहर हो जाए तो उस वक़्त से नमाज़ में क़सर शुरू करे,
📚 दुर्रेमुख़्तार,📚 रद्दुलमौहतार
सवाल👇
बस स्टेंड और रेलवे स्टेशन पर क़सर करे या नहीं,
जवाब👇
अगर आबादी से बाहर हों और तीन दिन की राह तक सफ़र का इरादा भी हो तो बस स्टेंड और रेलवे स्टेशन पर क़सर करेगा वरना नहीं
सवाल👇
अगर दो ढाई दिन की राह के इरादा से निकला वहां पहुंच कर फिर दूसरी जगह का इरादा हुआ वो भी तीन दिन से कम का रास्ता है तो वो शरअन मुसाफ़िर होगा या नहीं,
जवाब👇
वो शख़्स शरअन मुसाफ़िर ना होगा ता वक़्त ये कि जहां से चले वहां से तीन दिन की राह का इकट्ठे इरादा करे तो मुसाफिर होगा अगर दो, दो, ढाई, ढाई, दिन की राह के इरादा से चलता रहा तो इसी तरह अगर सारी दुनियां घूम आए मुसाफ़िर ना होगा,
📚 ग़ुनियातुत्तालिबीन,
सवाल👇
मुसाफ़िर कब तक क़सर करता रहे,
जवाब👇
मुसाफ़िर जब तक किसी जगह पंद्रह (15) दिन या उससे ज़्यादा ठहरने की नियत न करे या अपनी बस्ती में न पहुंच जाए क़सर करता रहे,
📚 बहारे शरीअत
सवाल👇
मुसाफ़िर अगर मुक़ीम के पीछे नमाज़ पढ़े तो क्या करे,
जवाब👇
अगर मुसाफ़िर मुक़ीम के पीछे पढ़े तो पूरी पढ़े क़सर न करे,
सवाल👇
मुक़ीम अगर मुसाफ़िर के पीछे पढ़े तो क्या करे,
जवाब👇
मुक़ीम अगर मुसाफ़िर के पीछे पढ़े तो इमाम के सलाम फेर देने के बाद अपनी बाक़ी दो रकअतें पढ़े और उन रकअतों में क़िराअत बिल्कुल न करे बल्के सूरह फ़ातिहा पढ़ने की मिक़दार चुपचाप खड़ा रहे,
📚 बहारे शरीअत
सवाल👇
अगर मुसाफ़िर इमाम ने क़सर न किया और पूरी चार रकअत पढ़ दी तो मुक़तदी की नमाज़ हुई या नहीं,
जवाब👇
मुसाफ़िर इमाम ने चार रकअत पढ़ा दी तो मुक़ीम मुक़तदी की नमाज़ नहीं हुई
📚 फ़तावा रज़वियह, शरीफ अनवारे शरीअत, उर्दू, सफ़ह 85/86/87)
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