सवाल: क्या हर किस्म का गुनाह तौबा से मुआफ़ हो सकता ?
जवाब जो गुनाह किसी बन्दा की हकतल्फी से हो मसलन किसी का माल ग़सब कर लिया, किसी पर तोहमत लगाई या जुल्म किया तो इन गुनाहों की मुआफ़ी के लिए ज़रूरी है कि पहले उस बन्दे का हक वापस किया जाए या उससे मुआफ़ी मांगी जाए फिर खुदा ए तआला से तौबा करे तो मुआफ़ हो सकता है। और जिस गुनाह का तअल्लुक़ किसी बन्दा की हक़तलफ़ी से नहीं है बल्कि सिर्फ खुदा ए तआला से है उसकी दो किस्में हैं एक वह जो सिर्फ तौबा से मुआफ़ हो सकता है जैसे शराब नोशी का गुनाह और दूसरे वह जो सिर्फ तौबा से मुआफ़ नहीं हो सकता है जैसे नमाजों के न पढ़ने का गुनाह इसके लिए ज़रूरी है कि वक़्त पर नमाज़ों के अदा न करने का जो गुनाह हुआ उससे तौबा करे और नमाजों की कज़ा पढ़े अगर आखिरी उम्र में कुछ कज़ा रह जाए तो उनके फ़िदयह की वसीयत कर जाए
📗अनवारे शरीअत सफ़ह 15-16-17)
कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश
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