बारिश के पानी के अहकाम
(1)... छत के परनाले से मीह (बारिश) का पानी गिरे वोह पाक है अगर्चे छत पर जा बजा नजासत पड़ी हो, अगरचे नजासत परनाले के मुंह पर हो, अगरचे नजासत से मिल कर जो पानी गिरता हो वोह निस्फ़ से कम या बराबर या ज़ियादा हो जब तक नजासत से पानी के किसी वस्फ़ में तग़य्युर न आए (या'नी जब तक नजासत की वजह से पानी का रंग या बू
या जाएका तब्दील न हो जाए) येही सहीह है और इसी पर ए'तिमाद है । और अगर मीह (बरसात) रुक गया और पानी का बहना मौकूफ़ हो गया तो अब वोह ठहरा हुवा पानी और जो छत से टपके नजिस है। (बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ्ह नः 52)
(2) यूंही नालियों से बरसात का बहता पानी पाक है जब तक नजासत का रंग, या बू, या मज़ा उस में ज़ाहिर न हो, रहा उस से वुजू करना अगर उस पानी में नजासते मरइय्या (या'नी नज़र आने वाली नजासत) के अज्जा ऐसे बहते जा रहे हों कि जो चुल्लू लिया जाएगा उस में एक आध ज़र्रा उस का भी ज़रूर होगा जब तो हाथ में लेते ही नापाक हो गया वुजू उस से हराम वरना जाइज़ है और बचना बेहतर है।
(ऐज़न)
(3) नाली का पानी कि बा'द बारिश के ठहर गया अगर उस में नजासत के अज्जा महसूस हों या उस का रंग व बू महसूस हो तो नापाक है वरना पाक।
(ऐज़न)
📚कपड़े पाक करने का तरीका सफ़ा. 14, 15
कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश
हमारे इस्लामी चैनल को लाईक और फॉलो लाज़मी करें फक्त वस्सालाम
एक टिप्पणी भेजें