❝ आख़िरत की तैयारी की फिक्र !? ❞
••• ➫ एक बुजुर्ग गुज़रे हैं उबैसे करनी कर्न एक कबीला था उसके रहने वाले थे यह नबी अलैहिस्सलाम के दौर में थे वालिदा की खिदमत करते थे उनसे इजाज़त ली नबी अलैहिस्सलाम के दीदार के लिए हाज़िर हुए मगर अल्लाह के महबूब सफर पर जा चुके थे , पीछे वालिदा अकेली थीं बीमार थीं इस लिए वैसे ही वापस आ गए जब नबी अलैहिस्सलाम तशरीफ़ लाए और आप को पता चला तो मोतबर किताबों में लिखा है कि नबी अलैहिस्सलाम ने अपना जुब्बा हज़रत उमर को दिया और कहा कि तुम उन की तलाश करना फलां फलां जगह , निशानियां बताई कि वहां तम्हें मिलेंगे और उन को मेरी तरफ से यह जुब्बा हदिया पेश करना और उनको कहना कि वह मेरी उम्मत के लिए मगफिरत की दुआ करें , चुनांचे कुछ अर्सा के बाद नबी अलैहिस्सलाम का वेसाल हो गया तो बाद में हज़रत उमर और हज़रत अली यह दोनों हजरात उनकी तलाश में गए उनको एक जगह पा लिया उनको जुब्बा भी दिया उनको बताया भी सही किताब में लिखा है कि बस थोड़ी सी गुफ़्तगु आपस में हुई उसके बाद उबैसे करनी ने कहा कि आप ने भी आखिरत की तैयारी करनी होगी और मैं ने भी आख़िरत की तैयारी करनी है अच्छा फिर रोजे महशर को मिलेंगे उनको रूखसत कर दिया
नमाज़ों की पाबंदी औऱ नेक अमल की नीयत करें
अमल से जिन्दगी बनती है सफ़ह 18
कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश
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