तांबे और पीतल का ख़िलाल गले में लटकाना कैसा है



सवाल- तांबे और पीतल का ख़िलाल गले में लटकाना कैसा है

अल जवाब- तांबे पीतल और लोहा वगैरह का खिलाल गले में लटकाना जिस तरह आजकल की बाज़ औरतें बहुत ज़्यादा अपने दांतो को तांबे और पीतल के आलाय ख़िलाल से साफ़ करती हैं, और गले में लटकाए रहती हैं जो नाजाइज़ व ममनूअ् है आला हज़रत इमामे इश्क़ो मुहब्बत मुजद्दिदे दीनों मिल्लत अश्शाह इमाम अहमद रज़ा ख़ान फ़ाज़िले बरेलवी अलैहिर्रहमतू वर्रिज़वान तांबे और पीतल के ख़िलाल के मुताल्लिक़ एक इस्तिफ़ता के जवाब में तहरीर फ़रमाते हैं
नाजाइज़ है क्योंकि यह तअलीक़ के हुक्म में है वैसे जाइज़ है और सोने चांदी का हराम है
बल्कि औरतों को भी ऐसे ही सोने चांदी के ज़ुरूफ़ में खाना ना जाइज़ है
और घड़ी की चैन भी आम अज़ीं के चांदी की हो या पीतल की हां डोरा बांध सकता है
📗 अल मलफ़ूज़ शरीफ़, जिल्द 3, सफ़ह 18)

अल इन्तिबाह नोट👇

खाना खाने के बाद ख़िलाल करने में जो कुछ दांतों में से रेशा वगैरा निकला बेहतर यह है कि उसे फेंक दे निगल गया तो उसमें भी हर्ज नहीं और खिलाल का तिनका या जो कुछ ख़िलाल से निकला उसको लोगों के सामने ना फेंके बलके उसे लिए रहे जब उसके सामने तश्त (यानी हाथ धोने का बर्तन थाल) आए उसमें डाल दे फूल और मेवा के तिनके से खिलाल ना करे बेहतर ख़िलाल ख़िलाल के लिए नीम की सींख़ बहुत बेहतर है कि उसकी तल्खी से मुंह की सफ़ाई होती है और यह मसूड़ों के लिए भी मुफीद है झाड़ू की सीख़ें भी इस काम में ला सकते हैं जब के वह कोरी (यानी पाक व साफ़) हों मुस्तअमल ना हो

📚 बहारे शरिअत जिल्द 3, सफ़ह 382)
📔 औरतों के जदीद और अहम मसाइल, सफ़ह 33---34)

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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