सवाल सिर्फ़ दवा ही को शिफ़ा देने वाला समझकर दवा का इस्तेमाल करना कैसा है
अल जवाब नाजाइज़ है हां अगर ये एतेक़ाद हो कि हक़ीक़ी शाफ़ी (शिफ़ा देने वाला) तो अल्लाह तआला है और दवा वगैरह तो फ़क़त मर्ज़ को दूर करने का सबब हैं, जिनको म'सबबुल असबाब मर्ज़ व दवा का पैदा करने वाला, बीमारी और शिफ़ा देने वाला दवा को शिफ़ा का सबब बना दिया है
फ़तावा आलमगीरी में है
الاستعمال بالتداوى لا باس به اذا اعتقد ان الشافى هو الله تعالى وانه جعل الدواء سببا اما اذا اعتقد ان الشافى هو دواء فلا كذا فى السر اجية
📘 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 5, सफ़ह 354)
और हुज़ूर फ़कीहे आज़म हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद अमजद अली आज़मी अलैहिर्रहमह फ़रमाते हैं
दवा इलाज करना जाइज़ है, जबकि यह एतेक़ाद (यानी अक़ीदा यक़ीन) हो के शाफ़ी (यानी सेहत या शिफ़ा देने वाला) अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल है, उसने दवा को इज़ाला ए मर्ज़ (यानी मर्ज़ को दूर करने के लिए सबब बना दिया है) और अगर दवा ही को शिफ़ा देने वाला समझता हो तो नाजाइज़ है
📚 बहारे शरिअत जिल्द 3 सफ़ह 505)
📔 औरतों के जदीद और अहम मसाइल सफ़ह. 139--140)
कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश
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