रोज़े की पाँच किस्में हैं
01 फ़र्ज़
02 वाजिब
03 नफ्ल
04 मकरूहे तनजीही
05. मकरूहे तहरीमी
फर्ज़ व वाजिब की दो क़िस्में हैं मुअय्यन व गैरे मुअय्यन। फर्ज़े मुअय्यन जैसे कज़ाए रमज़ान यअनी रमज़ान का रोज़ा जो छूट गया और रोज़ाए कफ्फारा जो कफ्फारा लाज़िम होने पर रखा जाये वाजिबे मुअय्यन जैसे नज़रे मुअय्यन वाजिबे गैरे मुअय्यन जैसे नज़रे मुतलक़
नफ़्ल दो हैं नफ्ले मसनून नफ्ले मुसतहब नफ्ले मसनून जैसे आशूरा यअ्नी दसवीं मुहर्रम का रोज़ा और उसके साथ नवीं का भी और नफ्ले मुस्तहब हर महीने में तेरहवीं, चौदहवीं पन्द्रहवीं और अरफ़े का रोज़ा पीर और जुमेरात का रोज़ा। शश ईद के रोजे यअनी ईद के छह रोजे दाऊद अलैहिस्सलाम के रोज़े यअनी एक दिन रोज़ा एक दिन इफ्तार
मकरूहे तनजीही जैसे सिर्फ हफ्ते के दिन रोज़ा रखना, नैरोज़ मेहरगान के दिन का रोज़ा सौमे दहर यअनी हमेशा रोज़ा रखना सौमे सुकूत यअनी जिसमें कुछ बात न करे, सौमे विसाल कि रोज़ा रखकर इफ्तार न करे और दूसरे दिन फिर रोज़ा रखे यह सब मकरूहे तनज़ीही हैं
मकरूहे तहरीमी जैसे ईद और अय्यामे तशरीक (बकरीद और उसके बअद के तीन दिन) के रोजे
📕 बहारें शरीअ़्त हिस्सा 5, सफा 72/73
कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश
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