रोज़े की फज़ाइल। हदीस की रौशनी मे


हदीस नं.01 सही बुख़ारी व सही मुस्लिम में अबू हुरैरा रदियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं जब रमज़ान आता है आसमान के दरवाजे खोल दिये जाते हैं एक रिवायत में है ' जन्नत के दरवाजे खोल दिये जाते हैं एक रिवायत में है कि रह़मत के दरवाजे खोल दिये जाते हैं और जहन्नम के दरवाज़े बन्द कर दिये जाते हैं और शैतान जन्जीरों में जकड़ दिये जाते हैं और इमाम अहमद और तिर्मिज़ी व इब्ने माजा की रिवायत में है कि जब माहे रमज़ान की पहली रात होती है तो शैतान और सरकश जिन्न कैद कर लिये जाते हैं और जहन्नम के दरवाजे बन्द कर दिये जाते हैं तो इनमें से कोई दरवाज़ा खोला नहीं जाता और जन्नत के दरवाजे खोल दिये जाते हैं तो इनमें से कोई दरवाज़ा बन्द नहीं किया जाता और मुनादी पुकारता है , ऐ खैर तलब करने वाले मुतवज्जे हो और ऐ शर के चाहने वाले बाज़ रह और कुछ लोग जहन्नम से आज़ाद होते हैं और यह हर रात में होता हैं इमाम अह़मद व नसई की रिवायत उन्हीं से है कि हुजूरे अकदस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया रमज़ान आया यह बरकत का महीना है अल्लाह तआला ने इसके रोज़े तुम पर फ़र्ज़ किये इस में आसमान के दरवाजे खोल दिये जाते हैं और दोज़ख के दरवाजे बन्द कर दिये जाते हैं और सरकश शैतानों के तौक डाल दिये जाते हैं और इसमें एक रात ऐसी है जो हजार महीनों से बेहतर है जो उसकी भलाई से महरूम रहा बेशक महरूम है

📕 बहारें शरीअ़्त हिस्सा 05 सफा 67/68

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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