हमारे एक करीबी तअल्लुक वाले दोस्त हैं उनकी वालेदा साहेबा कुरआन मजीद की हाफिज़ हैं अल्लाह तआला की शान उनको कुरआन मजीद इस तरह याद है जिस तरह आम लोगों को सूरह फातेहा याद होती है जब चाहें जिस वक्त चाहें जहां से पूछे एक लफ्ज़ बोलें वह उसी से आगे पढ़ना शुरू कर देती हैं , अल्लाह तेरी शान वह हैरान होती हैं कि क्या हाफिज़े कुरआन भी भूलते हैं और वाकई जो मेहनत करते हैं अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त उनको नेमत अता फरमाता है नमाज़ों की पाबंदी औऱ नेक अमल की नीयत करें
अमल से जिन्दगी बनती है सफ़ह 16 📚
कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश
एक टिप्पणी भेजें