⇩ मुसलमानों में बुज़दिली की वजह क्यूं है
╭┈► खिलाफते राशिदा अदलिया के बाद मुसलमानों पर दुनिया की मुहब्बत गालिब आ गई, अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मुहब्बत उन के दिलों में रासिख न रही, दुनिया की मुहब्बत की वजह से मौत से उनके दिलों में कराहत नफऱत पैदा हो गई और अल्लाह की राह में जान देने का जज़्बा कामिल न रहा जिसकी वजह से उम्मते मुस्लिमा बदहाली का शिकार हो गई, गैरों पर उस को गालिब रहने की नेअमत से महरूम कर दिया गया!
╭┈► सुनन अबू दाऊद और बैहकी की हदीस में उम्मते मुस्लिमा की इस बदहाली का जिक्र निहायत ही अलमनाक सूरत में वारिद है, हज़रत सोबान से रिवायत है कि
╭┈► रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया: ऐ मुसलमानो! करीब है कि काफिरों की जमाअतें तुम पर हमला आवर होने के लिये इस तरह एक दूसरे को बुलायेंगी जैसे किसी प्याले में खाना रखा हो और उसे खाने के लिये हर तरफ़ से लोगों को बुलाया जाये , सहाबा किराम ने अर्ज़ किया कि हुजूर! क्या उस वक्त हम कलील होंगे ? फ़रमाया नहीं तुम उस वक्त बहुत कसीर तादाद में होगे लेकिन तुम उस वक्त सैलाब के झाग और उसके खस व खाशाक की तरह होगे! यानी ईमानी कुव्वत व शुजाअत तुम में बाकी न रहेगी अल्लाह तआला तुम्हारी हैबत और तुम्हारा रोब दुश्मन के दिल से निकाल देगा और तुम्हारे दिलों में बुज़दिली और कमज़ोरी पैदा कर देगा, सहाबा किराम ने अर्ज किया हुजूर बुज़दिली और कमज़ोरी का सबब क्या होगा ? फ़रमाया *दुनियां की मुहब्बत और मौत की कराहत* ज़ाहिर है कि जो शख्स दुनिया से मुहब्बत करेगा मौत उसे नापसंद होगी! अर्सा दराज से मुसलमान इसी बदहाली में मुब्तला हैं और मौजूदा दौर में यह बदहाली ऐसी ख़ौफ़नाक सूरत इख्तेयार कर गई है कि इसके नतीज़े के ख्याल से भी दिल लरज़ कांप जाता है!
तज़किरातुल अम्बिया सफ़ह 29
कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश
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