रजबुल मुरज्जब उन चार मुक़द्दस महीनो में शामिल है जिनका ज़िक्र क़ुरान में मौजूद है यानि ज़िल क़अदा, ज़िल हज्ज, मुहर्रम और रजब
📚 पारा 10, सूरह तौबा, आयत 36📚 खज़ाइनल इरफान,सफह 229
रजब तरज़ीब से मअखूज़ है जिसका माने हैं ताज़ीम करना अहले अरब इस महीने की खूब ताज़ीम करते थे और इसे अल्लाह का महीना कहते थे, इस महीने की पहली तारीख को हजरत नूह अलैहिस्सलाम कश्ती पर सवार हुए इसी माह की चार तारीख को जंगे सिफ्फीन का वाक़िया पेश आया और इसी महीने की 27वीं शब को हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को जिसमे अनवर के साथ मेराज शरीफ हुई
📗 बारह माह के फज़ाइल, सफह 392,
हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं के रजब अल्लाह का महीना है और शाबान मेरा महीना है और रमज़ान मेरी उम्मत का महीना है और फरमाते हैं के इस महीने में 1 रोज़े का सवाब 1 साल के रोज़े के बराबर है और फरमाते हैं के रजब की फज़ीलत बाकी महीनो पर ऐसी है जैसी मेरी फज़ीलत तमाम अम्बिया पर और रमज़ान की फज़ीलत बाकी महीनो पर ऐसी है जैसी खुदा की फज़ीलत तमाम बन्दों पर और फरमाते हैं के जो इस महीने में, 7 रोज़े रखे तो उस पर जहन्नम के सातो दरवाज़े बंद हो जायेंगे और जो 8 रोज़े रखे तो उसके लिए जन्नत के आठों दरवाज़े खोल दिए जायेंगे और जो 10 रोज़े रखे तो खुदा से जो सवाल करेगा मिलेगा और जो 15 रोज़े रखे तो उसके पिछले सारे गुनाह माफ कर दिए जायेंगे
📗 मासबत मिन सुन्नह, सफह 126
रजब जन्नत में एक नहर का नाम है जिसका पानी दूध से ज़्यादा सफेद शहद से ज़्यादा मीठा और बर्फ से ज़्यादा ठंडा है वो पानी वही पियेगा जो रजब के रोज़े रखेगा
📗 मुकाशिफातुल क़ुलूब, सफह 636
एक मरतबा हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम एक पहाड़ के करीब से गुज़रे जिसमे से नूर निकल रहा था, आप ने रब से दुआ की के ये पहाड़ मुझसे कलाम करे, आप के इतना कहते ही पहाड़ ने आपसे पूछा के आप क्या चाहते हैं तो आप अलैहिस्सलाम ने फरमाया के तेरी ये चमक दमक कैसे है इस पर वो बोला के मेरे अंदर एक मर्दे खुदा मौजूद है जिसकी ये बरक़त है, फिर आप अलैहिस्सलाम ने रब से दुआ की के उस मर्दे खुदा को ज़ाहिर फरमा तो पहाड़ फट गया और वो बुज़ुर्ग ज़ाहिर हुए उन्होंने कहा के मैं हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की क़ौम से हूं मैंने रब से दुआ की थी के मैं हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का दौर भी पाऊं ताके मैं उनकी उम्मत में शामिल हो सकूं तो मैं अब तक 600 साल से इस पहाड़ के अंदर इबादत में मशगूल हूं, तब हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह से अर्ज़ की के ऐ मौला क्या रूए ज़मीन पर इससे बढ़कर बुज़ुर्ग भी कोई शख्स मौजूद है तो रब तआला इरशाद फरमाता है के ऐ ईसा उम्मते मुहम्मदिया का जो फर्द भी माहे रजब का एक रोज़ा रख लेगा तो वो मेरे नज़दीक इससे भी बढ़कर बुज़ुर्ग होगा सुब्हान अल्लाह सुब्हान अल्लाह
📚 नुज़हतुल मजालिस, जिल्द 1,सफह 130
हमारे आक़ा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का इरशाद है के जो शख्स 27.वीं रजब का रोज़ा रखेगा तो उसे 60 महीनो के रोज़े का सवाब मिलेगा
📚 गुनियतुत तालिबीन,जिल्द 1,सफह 182
इस महीने में 22 रजब को हज़रत इमाम जाफर सादिक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के नाम से कूंडे की नियाज़ होती है, इसके तअल्लुक़ से हुज़ूर ताजुश्शरीअह अलैहिर्रहमा व हुज़ूर मुहद्दिसे कबीर दामत बरक़ातुहुमुल आलिया क़ुदसिया फरमाते हैं के "22 तारीख को सय्यदना अमीरे मुआविया रज़िअल्लाहु तआला अन्हु की विसाल की तारीख है और शिया उस दिन उन पर तबर्रा बाज़ी करते थे तो हज़रत इमाम जाफर सादिक़ रज़िअल्लाहु तआला अन्हु ने उस दिन सय्यदना अमीरे मुआविया रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की नियाज़ क़ायम फरमाई जिससे के शियाओं को उन पर तबर्रा करने का मौक़ा ना मिले, यही नियाज़ आपके बाद आपकी तरफ मंसूब हुई लिहाज़ा 22 तारीख को कूंडा करने में कोई हर्ज नहीं बस शियाओं की मुशाबहत ना इख्तियार करें, मसलन उनके यहां ये रिवाज़ है के जहां पके वहीं खाया जाए वहीं हाथ धोया जाए घर से बाहर ना ले जाया जाए औरतें ना खाएं ये सब खुराफातें उनके यहां होती हैं जबकि ये सब मरदूद रस्में हैं सुन्नियों को इससे बचना ज़रूरी है
✍️कत्बा अल अबद ख़ाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रिज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्ला अलैहि बस स्टैंड किशनपुर यूपी
एक टिप्पणी भेजें