╭┈► सवाल ➺ कभी मां बाप अपनी औलाद को कोसते हैं किसी की तो ज़बान बहुत बुरी होती है कुछ भी कह देते है तो क्या औलाद पे वो लानत बैठती है जब औलाद की ग़लती ना हो बस माँ का मिजाज़ ही गुस्सेला हो? कभी भाई बहन मे तकरार होती है गुस्से मे बोलते है तू मर गई मेरे लिए, क्या रिस्ता ख़तम हो जाता है ?
╭┈►जवाब औरत जिस वुजुहात से जहन्नम मे जाएगी उसमे से एक कोसना और लानत करना भी होगा, मगर जो बद - दुआ दी गई अगर कुबूलियत की घड़ी हुई तो बद - दुआ असर लाएगी, और हदीस मे कोसने, बद - दुआ देने को मना किया गया, मगर अल्लाह (बिला वजह शरा) बद - दुआ को इतनी जल्दी कुबूल नही करता जैसे आम दुआ को
हदीस मे है अपनी जानो पर बद दुआ ना करो और अपनी औलाद पर बद - दुआ ना करो, और अपने खादिमो पर बद - दुआ ना करो, कही कुबूलियत की घड़ी से मावाफ़ीक़ ना हो
बा हवाला ↬ पर्दादारी सफ़ह नः 43
✍️कत्बा अल अबद ख़ाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रिज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्ला अलैहि बस स्टैंड किशनपुर यूपी
एक टिप्पणी भेजें