ये कहना कि कल हम क्या खायेंगे तो क्या हुक्म है

अस्सलामु अलैकुम क्या फरमाते हैं उलमाये इकराम व मुफ्तियानेज़ाम इस मसाले के बारे में कि ये जुमाला कहाना की कल हम क्या खायेंगे तो कैसा है जवाब इनायत फरमाए

सवाल करने वाले का नाम मोहम्मद अब्दुल रशीद

अल जवाब मजकूरा बातों में दो जुमले कुफरी हैं

1 अल्लाह ताला के लिए सोचने का जुमाला इस्तेमल किया जो कि कुफ़र है क्योंकि सोचता वो है जो आलिमुलगैब ना हो और कुदरत ना रख्ता हो जबकी रब ताला की शान तो यह है कि खुद फरमाता है

तर्जुमा.... कि वही अल्लाह है जिसके सिवा कोई माबुद नहीं हर नेहा व आया (छुपी जहिर) का जाने वाला वही है बड़ा रहमत वाला

(📘कंजुल ईमान)

(पैरा 28 सूरह हश्र आयत न: 32)

और उसकी शान तो यह है कि लफ्जे कुन के जरिए ही अपनी मशीयत को वजूद बख्श देता है उसी का फरमान है कि

अरबी......

तर्जुमा.. जब किसी काम का हुक्म फरमाता है तो यूं ही उसका उससे फरमाता है कि हो जा वो फौरन हो जाता है

हवाला अल क़ुरान पारा 16 ज़रूर मरियम आयत नंबर: 35

कत्बा मोहम्मद मुज़म्मिल हुसैन नूरी मिसबाही किशनगंज बिहार

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