औरतों को मुजावर की तरह मज़ार की ख़िदमत करना कैसा है


सवाल औरतों को मुजावर की तरह मज़ार की ख़िदमत करना कैसा है

अल जवाब औरत को किसी मज़ार की ख़िदमत करना जाइज़ हैं, लेकिन घर से बाहर निकल कर मज़ार की ख़िदमत करने में अगर उनके कपड़े ख़िलाफ़े शरअ् होते हैं, मसलन इतने बारीक कि बदन चमके या इतने छोटे कि सतरे औरत ना करे, या ऊंची क़मीस के पेट खुला हो या ग़लत तरीक़े से औढ़े पहने जैसे दुपट्टा सर से ढके या कुछ हिस्सा बालों से खुले यह ज़र्क़ वर्क़ पोशाक के जिन पर निगाह पड़े और एहतेमाले फ़ित्ना हो या उनकी चाल ढाल और बोलचाल में आसारे बेमअ्नी पाए जाएं, तो उनको मज़ार की ख़िदमत करने या किसी दूसरे काम के लिए घर से बाहर निकलना हराम है

📚 फ़तावा फ़ैज़ुर्रसूल जिल्द 2, सफ़ह 528)

अल इन्तिबाह लेकिन अब मज़कूरा बाला शर्तों (यानी जो शर्तें ऊपर बताई गईं) में से शायद ही कोई शर्त पाई जा सके, लिहाज़ा अब इस दौर में औरतों को मज़ार की ख़िदमत करना हराम हराम हराम है

📔 औरतों के जदीद और अहम मसाइल सफ़ह 90--91)

✍️कत्बा अल अबद ख़ाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रिज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्ला अलैहि बस स्टैंड किशनपुर यूपी

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