सवाल हज़रत मैं आपके ग्रुप में हूँ आप से गुज़ारिश है के शबे बरात में रात में जागना और क़ब्रिस्तान में जाना वगैरह इस पर हवाले के साथ कुछ इरशाद फरमां दें महरबानी होगी?
जवाब हदीस शरीफ़ मौला अली रज़िअल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि जब शाबान की 15.वीं रात आये तो तुम लोग रात को इबादत करो और दिन को रोज़ा रखो बेशक इस रात में खुदा ए तआला आसमाने दुनिया पर तजल्ली फरमाता है और ऐलान करता है कि है कोई मगफिरत का तलबगार कि मैं उसे बख्श दूं है कोई रोज़ी मांगने वाला कि मैं उसे रोज़ी दूं है कोई बला व मुसीबत से छुटकारा मांगने वाला कि मैं उसे रिहाई दूं रात भर ये ऐलान होता रहता है यहां तक के फज्र तुलु हो जाती है
📚 इब्ने माजा जिल्द 01सफह 398📚 मिश्कात सफह 115📚 अत्तरगीब जिल्द 02 सफह 52
हदीस शरीफ़ उम्मुल मोमेनीन सय्यिदुना आयशा सिद्दीक़ा रज़िअल्लाहु तआला अन्हा फरमाती हैं कि एक रात हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मेरे पास से अचानक उठकर चले गए, जब मैंने उन्हें ना पाया तो उनकी तलाश में निकली तो आपको जन्नतुल बक़ी के कब्रिस्तान में पाया कि आपका सरे मुबारक आसमान की तरफ था जब हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने मुझे देखा तो फरमाया कि ऐ आयशा क्या तुझे ये गुमान था कि अल्लाह का रसूल तुम पर जुल्म करेगा इस पर मैंने अर्ज़ की कि या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मैंने सोचा कि शायद आप अपनी किसी और बीवी के पास तशरीफ ले गए हैं, तो आप फरमाते हैं कि आज शाबान की 15.वीं रात है आज रात मौला तआला इतने लोगों को बख्शता है जिनकी तादाद बनी क़ल्ब की बकरियों से भी ज़्यादा होती है
📚 तिर्मिज़ी,जिल्द 01सफह 403📚 इब्ने माजा,जिल्द 01 हदीस नंबर 1389📚 मिश्कात सफह 114
अज़ क़लम 🌹 खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)
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