सवाल
एक सवाल है के क्या शबे बराअत में मरने वालों की रुह़े घरों में आती हैं हवाले के साथ जवाब इनायत करें
जवाब
बेशक मोमिनीन की रुह़ें हर शबे जुमां, यानी जुमेरात के दिन, ईद के दिन, आशूरा के दिन, और शबे बराअत को अपने घर आकर बाहर खड़ी रहती हैं और हर रुह़ बलंद आवाज़ से निदा करती है के ऐ मेरे घर वालों ऐ मेरी औलाद ऐ मेरे क़ुरबत दारो सदक़ा कर के हम पर महरबानी करो
📗 सुन्नी बहिश्ती ज़ेवर 📚 फतावा रज़वियह शरीफ़ जिल्द 9 सफह 651
अज़ क़लम 🌹 खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)
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