सवाल क्या फरमाते हैं मुफ्तियाने दीनो मिल्लत इस मसअले में कि जुमा का ख़ुत्बा नमाज़ के पहले और ईदैन का ख़ुत्बा नमाज़ के बाद पढ़ा जाता है ऐसा क्यों है ?
जवाब जुमा का ख़ुत्बा नमाज़ से पहले और ईदैन का ख़ुत्बा नमाज़ के बाद इसलिए पढ़ा जाता है कि हमारे नबी सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से ऐसा ही साबित है और जुमा की नमाज़ में ख़ुत्बा शर्त है और शर्त मशरूत से पहले हुआ करती है इस लिए भी जुमा का ख़ुत्बा नमाज़ से पहले पढ़ा जाता है और ईदैन की नमाज़ में ख़ुत्बा सुन्नत है जिसे नमाज़ के बाद पढ़ने का हुक्म है इसलिए उसको बाद में पढ़ा जाता है और हुज़ूर सदरूशशरिया अलैहिर्रहमा तहरीर फरमाते हैं सिर्फ इतना फ़र्क़ है कि जुमा में ख़ुत्बा शर्त है और ईदैन में सुन्नत अगर जुमा में ख़ुत्बा न पढ़ा तो जुमा न हुआ और इस में न पढ़ा तो नमाज़ हो गई मगर बुरा किया दूसरा फ़र्क़ ये है कि जुमा का ख़ुत्बा नमाज़ से पहले है और ईदैन का नमाज़ के बाद अगर पहले पढ़ लिया तो बुरा किया मगर नमाज़ हो गई लौटाई नहीं जाएगी और ख़ुत्बा का भी एआदह नहीं
📚फ़तावा फ़क़ीहे मिल्लत जिल्द 1 सफ्ह नः 252
अज़ क़लम 🌹 खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)
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