सवाल दूसरे के बाल को अपने बाल में मिलाकर चोटी बनाना और गूदना गुदवाना कैसा है
अल जवाब
किसी इंसान के बाल को अपने बाल में मिलाकर गूंदना और चोटी बनाना हराम है यूं ही गूदना गुंदवाना भी हराम है
बुखारी शरीफ में है हज़रत अबू हुरैरा रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है अल्लाह तआला ने लानत फ़रमाई है बाल जोड़ने वाली और जुड़वाने वाली पर और गूदने वाली और गुदवाने वाली पर
📚 बुखारी शरीफ, किताबुल्लिबास, बाबुल वस्ल फ़िश्शअर, जिल्द 2 सफ़ह 878)
अगर वह बाल के जिनको जोड़कर चोटी बनाई गई है खुद उसी औरत का हो या किसी ग़ैर का दोनों सूरतें बराबर हैं, यानी के बाल जोड़ना ही हराम व नाजाइज़ है, अपने और ग़ैर की कोई तख़सीस नहीं
जैसा के दुर्रे मुख्तार में है
अरबी इबारत असल किताब में मुलाहिज़ा हो
📚 दुर्रे मुख़्तार जिल्द 9 सफ़ह 530)
और हुज़ूर सदरुश्शरिअह अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं इंसान के बालों को चोटी बनाकर औरत अपने बालों में गूंदे यह हराम है हदीस में इस पर लानत आई बल्कि उस पर भी लानत जिसने किसी दूसरी औरत के सर में ऐसी छोटी गूंदी और वह बाल जिस की चोटी बनाई गई खुद उसी औरत के हैं जिसके सर में जोड़ी गई जब भी नाजाइज़ और अगर ऊंन या सियाह तागे की चोटी बनाकर लगाए तो मुमानअत नहीं इसी तरह गूदने और गुदवाने वाली
📚 बहारे शरिअत जिल्द 3, सफ़ह 596, मुलख़सन)
अल इन्तिबाह
तो मालूम हुआ कि दूसरे के बाल या खुद अपने बाल को मिलाकर चोटी बनाना या दूसरे के सर में बनाना दोनों हराम है, और ऊन या तागे की चोटी बनाने में कोई हर्ज
📔 औरतों के जदीद और अहम मसाइल सफ़ह 55//56)
✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)
एक टिप्पणी भेजें