अकीके का गोश्त दादा दादी और नाना नानी के लिए नाजाइज़ समझना
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कुछ लोग अकीके का गोश्त दादा दादी और नाना नानी के लिए खाने को नाजाइज़ ख़्याल करते हैं यह बहुत बड़ी जहालत नादानी और गलतफहमी है । अकीके का गोश्त दादा दादी और नाना नानी के लिए खाना बिला शुबा जाइज़ है बल्कि जहाँ इस खाने को बुरा जानते हों वहाँ उनके लिए खाना ज़रूरी है । और वह खायेंगे तो रिवाज मिटाने का सवाब पायेंगे
आलाहज़रत इमामे अहले सुन्नत मौलाना अहमद रज़ा ख़ाँ साहब अलैहिर्रहमतु वरिंदवान से इस बारे में पूछा गया तो फ़रमाया : सब खा सकते हैं उकूदुददरिया में है
📚(अलमलफूज़ हिस्सा अव्वल सफा ४६)
📚 (ग़लत फहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न. 162)
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✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)
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