मोहर्रम शरीफ़ मे किए जाने वाले खिलाफ़ शरअ काम

सवाल  

मुहर्रम शरीफ में किए जाने वाले खिलाफे शरअ कामों के निशानदेही फरमाएं ?

 जवाब 

शैखुल हदीस हजरत अल्लामा अब्दुल मुस्तफा आज़मी रहमतुल्लाह अलैह इरशाद फरमाते हैं: ढोल ताशा बजाना, ताज़ियों को मातम करते हुए गली गली फिराना, सीने को हाथों या जन्जीरों या छुरयो से पीट पीट कर और मार मार कर और उछलते कूदते हुए मातम करना, ताजियों की ताजीम के लिए ताजियों के सामने सजदा करना, ताज़ियों की धूल उठा उठा कर बतौर तबर्रुक चेहरों, सरों और सीनों पर मलना, अपने बच्चों को फकीर बना कर मुहर्रम की नियाज के लिए भीक मंगवाना, सोग मनाने के लिए खास किस्म की लगवियात और खुराफात की रस्में जो मुसलमानों में फैली हुई हैं। यह सब ममनूअ व नाजाईज है। और यह सब ज़मानये जाहिलियत और राफिजियों (शियों) की निकाली हुई रस्में हैं। जिन से तौबा करके खुद भी इन हराम रसगों से बचना और दूसरों को बचाना हर मुसलमान पर लाजिम है, इस तरह ताजियों का जुलूस देखने के लिए औरतों का बे परदा घरों से निकलना और मर्दो के मजमे में जाना और ताजियों को झुक झुक कर सलाम करना यह सब काम भी शरीअत में मना और गुनाह है

📕 (जन्नती जेवर तखरीज शुदा सफा 158 157)


✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)


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