आलिमे दीन बनने के लिये कितना इल्म होना ज़रूरी है
मेरे आका आला हज़रत इमामे अहले सुन्नत मौलाना शाह इमाम अहमद रज़ा खान रहमतुल्लाह तआला अलैह से दो सुवाल हुए जो अर्ज़ ( यानी सुवाल ) और इर्शाद ( यानी जवाब ) की सूरत में पेशे ख़िदमत हैं
अर्ज आलिम की क्या तारीफ़ है
इर्शाद आलिम की तारीफ़ येह है कि अकाइद से पूरे तौर पर आगाह हो और मुस्तकिल हो और अपनी ज़रूरिय्यात को किताब से निकाल सके बिगैर किसी की मदद के
अर्ज़ कुतुब बीनी ( या'नी किताबें पढ़ने ) ही से इल्म होता है ?
इर्शाद येही नहीं बल्कि इल्म अफवाहे रिजाल ( या'नी इल्म वालों से गुफ़्तगू ) से भी हासिल होता है
(अल मल्फूज़ाते आला हज़रत सफ्ह नः 58 )
✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)
एक टिप्पणी भेजें