सफर के महीने का आखरी बुध की हकीक़त❓


सफर के महीने का आखिर बुध❓

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कुछ जगह लोग सफ़र के महीने के आख़िरी बुध के बारे में यह ख्याल करते हैं कि इस रोज़ हुजूर ﷺ ने मर्ज से शिफ़ा पाई थी । लिहाज़ा इस दिन खुशी मनाते हैं खाने शीरीनी वगैरा खाते खिलाते हैं, जंगल की सैर को जाते हैं और कहीं पर लोग इसको मनहूस ख्याल करते हैं और बरतन तोड़ डालते हैं हालांकि सफ़र के आख़िरी बुध की कोई अस्ल नहीं न उस दिन हुजूर ﷺ के लिए मर्ज़ से सेहतयाबी का कोई सबूत बाज़ जगह कुछ लोग इस दिन को मनहूस ख्याल करके बरतनों वगैरा को तोड़ते हैं यह भी फुजूलखर्ची और गुनाह है । खुलासा यह कि सफ़र के महीने के आख़िरी बुध की इस्लाम में कोई खुसूसियत नहीं

📚 (फतावा रज़विया जिल्द १०, निस्फे अव्वल, सफहा ११७)

📚 (ग़लत फहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न.135)

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✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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