गैर मुस्लिमों से गोश्त मँगाने का मसला
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गैर मुस्लिम की दुकान से गोश्त ख़रीद कर खाना या किसी गैर मुस्लिम से हदिया और तोहफे में कच्चा या पका हुआ गोश्त लेकर खाना हराम है ख्वाह वह यह कहे कि मैंने जानवर मुसलमान से जुबह कराया था । यअनी मुसलमान का ज़बीहा बताये तब भी उससे गोश्त लेना, खरीदना और खाना सब हराम है । हाँ अगर जुबह होने से लेकर जब तक मुसलमान के पास आया हर वक्त मुसलमान की नज़र में रहा तो यह जाइज़ है
📚 (फतावा रज़विया ज़िल्द १० निस्फ़ अव्वल सफ़ा ६४)
हाँ! अगर गोश्त किसी मुसलमान की दुकान से लाया गया लेकिन ख़रीद कर लाने वाला नौकर, मज़दूर वगैरह कोई गैर मुस्लिमं हो और वह कहे कि मैंने यह गोश्त मुसलमान की दुकान से खरीदा है और आप भी जानते हैं कि यह मुसलमान की दुकान से ख़रीदकर लाया है तो उस गोश्त को खाना जाइज़ है जामेअ सगीर में है
📚 (हिदाया जिल्द ४ सफा ४३७)
📗 बहारे शरीअत हिस्सा १६ सफा ३६ पर भी इसकी वज़ाहत मौजूद है
खुलासा यह कि मुसलमान की दुकान का गोश्त जाइज़ है ख़्वाह ख़रीद कर लाने वाला नौकर या मज़दूर गैर मुस्लिम हो और गैर मुस्लिम की दुकान का गोश्त हराम है ख़्वाह ख़रीद कर लाने वाला मुसलमान ही क्यूँ न हो और अगर जुबह शरई से लेकर किसी वक़्त मुसलमान की नज़र से गाइब न हुआ तो यह भी जाइज़ है
📚 (ग़लत फहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न.125)
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✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)
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