क्या नकद और उधार की अलग-अलग किमत रखना मना है
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अगर कोई शख्स अपना माल किसी के हाथ बेचे,और कहे कि अभी किमत अदा कर दोगे तो इतने में और अगर उधार खरीदोगे तो इतने पैसे होंगे मसलन अभी 300 रुपये और उधार खरीदोगे पैसे बाद में अदा लरोगे तो 350 रूपए देने होंगे ,तो यह जायेज़ है । इसको कुछ लोग नाजायज़ ख़याल करते है और सूद समझते हैं ये उनकी गलतफहमी है यह सूद नहीं है
हाँ अगर खरीददारी के वक़्त इस बात को खोला नही, और माल 300 रूपये में फरोखत(बेच) कर दिया, और रक़म अदा करने में उसने देर की तो उससे पैसे बढ़ा कर वसुल किये , मसलन 350 रूपये लिए तो यह सूद हो जायेगा । मतलब यह है की उधार और नकद का भाव अगर अलग अलग है तो खरीददारी के वक़्त ही इसकी वजाहत करदे बाद में उधार की वजह् से रकम बढ़ाकर लेना सूद और हराम है
(📗फतावा रज़विया जिल्द 17,सफह 97,मतबुआ रज़ा फाउंडेशन-लाहोर) (📗फतावा फैज़ुर्रसुल ,जिल्द 2 ,सफह 380)
गलत फहमिया और उनकी इस्लाह सफ्ह नः 112
✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)
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