फिल्मी गानों की तर्ज पर नाते और मनकबतें पढ़ना
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आजकल जलसों और मुशाइरों में शाइर व नातख्याँ लोग फिल्मी गानों की तर्ज पर उनकी लय और सुर में हम्द, नात व मनकबत पढ़ने लगे हैं हालाँकि यह मना है । उन्हें इन हरकात से बाज़ रहना चाहिए और मुसलमानों को चाहिए कि ऐसे लोगों से हरगिज़ नज़्में न सुनें
आला हज़रत इमामे अहले सुन्नत फ़रमाते हैं अगर गाने की तर्ज पर रागिनी की रिआयत हो तो नापसन्द है कि यह अम्र ज़िक्र शरीफ़ के मुनासिब नहीं
📚 (फतावा रज़विया जिल्द १० किस्त २ सफा १८५)
📚 (ग़लत फहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न.123)
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✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)
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