इस्लाम और ईमान में क्या फर्क है ?

 


सवाल 


इस्लाम और ईमान में क्या फर्क है ?


जवाब 

कलिमा पढ़ना, नमाज़ पढ़ना, रोज़ा रखना, ज़कात देना, और साहबे इस्तेताअत हो तो हज करना यह इस्लाम है और अल्लाह तआला पर, उसके रसूलों पर, उसकी किताबों पर और आख़िरत पर अच्छी बुरी तकदीर पर मुकम्मल यकीन रखना यह ईमान है! हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की ताज़ीम व अदब और आपसे इश्क व मुहब्बत ही ईमान है! ईमान असल है आमाले उसकी फरअ । ईमान जड़ है आमाल इसकी शाखें! जिस तरह किसी दरख्त की जड़ को काट देने से उसकी शाखें खुद बखुद मुरझा जाती हैं बिल्कुल इसी तरह हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शाने अक़दस में अदना सी गुस्ताखी आमाल की खेती को तबाह व बरबाद कर देती है 

ईमान की बुनियाद खुश अकीदगी पर हैं अगर अकीदा बिगड़ गया तो तमाम आमाल बरबाद व बेकार है! इसलिये आमाल से ज़्यादा अकीदा की इस्लाह व दुरुस्तगी ज़रूरी है और मदारे नजात भी ईमान ही पर है , अमल पे नहीं! लोग ईमान की वजह से जन्नत में जायेंगे और दर्जे उनके आमाल के मुताबिक बुलंद किये जायेंगे!


(📚 क़िताब हमसे पूछिये सफ़ह नः 11)


✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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