रोजा़ है क्या और उसकी हकीक़त क्या है
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दातागंज बख्श अली हिजवेरी रहमतुल्लाह अलैहि का इरशाद है कि रोजे़ की हकीक़त रुकना है और रुके रहने की बहुत शराइत़ है जैसे
(01) बंदे को खाने पीने से रोके रहना
(02) आंख को बद निगाही से रोके रहना
(03) कान को गी़बत सुनने से रोके रहना
(04) जबान को फुजू़ल और फितना अंगेज़ बाते करने से रोके रहना
(05) जिस्म को अल्लाह पाक के हुक्म की मुखालफत से रोके रखना रोजा़ है
जब बन्दा इन तमाम शराइत़ की पैरवी करेगा तब वह हकीक़तन रोज़े दार होगा
(📚ब हवाला क्शफुल महबूब सफ्ह नः 353/354)
✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)
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