✎सुवाल
➤क़ुरआन की तिलावत के वक़्त दरमियान में क़ारी जब ठहरता है तो उस वक़्त सुब्हानअल्लाह, सुब्हानअल्लाह ज़ोर ज़ोर से कह कर उसे दाद देना कैसा है ?
✎जवाब
➤क़ुरआन की तिलावत के वक़्त जब दरमियान में क़ारी ठहरता है तो उस वक़्त ज़ोर ज़ोर से सुब्हानअल्लाह कह कर दाद देना ग़लत और सख़्त नापसन्द है बल्कि क़ुरआन सुनते वक़्त हमा तन गोश हो कर तमाम हरकतों से बाज़ रहना चाहिए *सय्यदी आला हज़रत रदि अल्लाहो अन्हो तहरीर फरमाते हैं* की पंज आयत के वक़्त जो आयते करीमा (ماکان محمد ابا احد مرجالکم पर इस क़दर कसरत से अंगूठे चूमे जाते हैं गोया सैकड़ों चिड़याँ जमा हो कर चुंग रही हैं यहाँ तक कि दूर वालों को क़ुरआने अज़ीम के कुछ अल्फ़ाज़ भी उस वक़्त अच्छी तरह सुनने में नहीं आते ये फ़क़ीर को सख़्त नापसन्द गुज़रता है
📚फ़तावा फ़क़ीहि मिल्लत जिल्द 2 सफ़ह 328
✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)
एक टिप्पणी भेजें