रोज़े की हालत में गुलमंजन करना कैसा


 सवाल 

एक सवाल का जवाब इनायत फरमायें आपकी महरबानी होगी, सवाल ये है कि रमज़ानुल मबारक में गुल मंजन इस्तेमाल करना कैसा है गुल इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं, नहीं कर सकते हैं तो क्या मकरुहे तह़रीमी है या मकरूहे तन्ज़ीही है जवाब इनायत करें

जवाब

हज़रत मुफ्ती वक़ार अली अह़सानी साहब तह़रीर फरमाते हैं कि

रोज़े की ह़ालत में गुल के इस्तेमाल की चन्द सूरतें हैं

1- ज़ैद अगर इस तरह गुल करता है के दांतों तले दबा कर रखे रहता है तो उसके ज़र्रात लुआब के साथ ह़लक़ के नीचे उतर जायेंगे जैसे तम्बाकू को खाने में होता है इस सूरत में उसका रोज़ा टूट जायेगा और क़ज़ा व कफ्फारह दोनों लाज़िम होगा

2- अगर वो इस तरह इस्तेमाल करता है कि गुल दांतों पर लगा कर दस पांच मिनट छोड़ देता है बाद में कुल्ली कर लेता है तो इस दस पांच मिनट के वक़्फा में ज़न गालिब यही है कि गुल के अज्ज़ा लुआब के साथ हलक़ के नीचे उतर जायेंगे और रोज़ा टूट जायेगा इस सूरत में ज़ैद पर सिर्फ उस रोज़े की क़ज़ा वाजिब होगी, इस में कफ्फारह इसलिए नहीं कि ये ज़न गालिब है यक़ीनी नहीं इसीलिए हज़रत ने सिर्फ क़ज़ा का हुक्म फरमाया

3-अगर उसका तरीक़ा इस्तेमाल का ये है कि पहले दांतों पर गुल मल लेता है फिर फौरन कुल्ली कर लेता है तो रोज़े की ह़ालत में इस तरह इस्तेमाल की सख्त मुमानअत है क्योंकि इस सूरत में ऐसा भी होता है कि अज्ज़ा हलक़ तक पहुँच जाते हैं और ज़ेरे हलक़ उतरने और रोज़ा टूटने का एह़तिमाल होता है

📗फैसला फिक़्ही सैमीनार बोर्ड दहली बह़वाला फतावा मरकज़ तरबियत इफता जिल्द 1 सफह 470

✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

Post a Comment

और नया पुराने