क्या बग़ैर रुमाली का पैजामा या जांघिया पहनने से नमाज़ मै कमी आती है ?
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यह भी बाअज़ लोगों मै एक आम ख्याल है जिसकी कोई हकीकत नहीं पैजामे या जांघिये में रुमाली होना नमाज़ की सेहत के लिए बिल्कुल ज़रूरी नहीं है बगैर रुमाली के पैजामे और जांघिये से नमाज़ बिला कराहत जायज़ है हां जो लिबास और कपड़े गैर मुस्लिमों के लिए मख़्सूस 'यानी खास' है उनको पहनना गुनाह है, और उनमें नमाज़ मकरूह है। अंग्रेजी पेंट और शर्ट में फी ज़माना ओलामाए किराम ने नमाज़ के मकरूहे तंज़ीही होने का फतवा दिया है
📚 (फ़तावा मरकज़ी दारुल'इफ्ता सफ़्हा 207)
📖 यह इसलिए नहीं कि पैंट में रुमाली नहीं होती बल्कि इसलिए है कि अंग्रेजों का ख़ास क़ोमी लिबास रह चुका है, और अब भी दीनदार मुसलमानों में इसको माअयूब 'यानि ऐब लगा हुआ' ख्याल किया जाता है। लिहाज़ा अब भी अंग्रेजी पेंट और शर्ट में नमाज़ अदा ना करना ही मुनासिब और बेहतर है और इस लिबास से बचना ही ऊला 'यानी अब्बल दर्जे का' बेहतर है
📚 (ग़लत फेहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न. 45,46)
✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)
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