मस्जिद मै अपनी ज़ात (ख़ुद) के लिए सवाल करना
❈•───islami────❈───malumat────•❈
आज कल मस्जिदों में सवाल करने और भीख मांगने का रिवाज बहुत बढ़ता जा रहा है उमूमन देखा जाता है कि इधर इमाम साहब ने सलाम फेरा उधर किसी ना किसी ने,, और बाअज़ औकात कई-कई लोगों ने अपनी-अपनी आपबीती सुनाना और मदद करो भाइयों की पुकार लगाना शुरु कर दिया। हालांकि यह निहायत ग़लत तरीक़ा है ऐसे लोगों को इस हरकत से बाअज़ रखा जाए और मस्जिदों में भीख मांगने से सख्ती से रोका जाए
सदरुश शरीआह हज़रत मौलाना अमजद अली साहब क़ुद्स सिर्रहु फरमाते हैं मस्जिद मै सवाल करना हराम है और उस साइल को देना भी मना है
📕 (बहारे शरीअत, हिस्सा 3, सफ़्हा 184)
इसका तरीक़ा यह होना चाहिए कि, ऐसे लोग या तो बाहर दरवाज़े पर सवाल करें या इमामे मस्जिद वगैरा किसी से कह दे कि वह उनकी ज़रूरत से लोगों को आगाह कर दे
📚 (ग़लत फेहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न: 37/38)
✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)
एक टिप्पणी भेजें