✿➺ सवाल
क़ज़ा नमाज़ का तरीक़ा बताए, जिसकी क़िम्मे बहुत सारी हो, जैसे जैद की उमर 21 साल है और उसे याद नही है कितने नमाज़े क़ज़ा करे वो लेकिन जितना पता है बहुत सारी क़ज़ा नमाज़ है उसके जवाब तफ़सील से बताए ?
❀➺ जवाब
नमाज़े क़ज़ा अदा करने का तरीक़ा क़ज़ा नमाज़ अगर याद ना हो की पिछली ज़िंदगी में कितनी रह गई, तो जब से बालिग हुआ जब से अब तक, या जब से नमाज़े शुरू की है वहाँ तक के साल का अंदाज़ा लाया जाए, अगर ये याद नही की कब बालिग हुए तो
लड़का 12 साल से अंदाज़ा लगाए लड़की 9 साल से यानी अगर ज़ैद ने 21 साल मे नमाज़ शुरू की (इससे पहले क़ज़ा करता था या करती थी) तो, 12 से 21 साल तक यानी 9 साल की नमाज़ क़ज़ा हुई और लड़की (अगर साल की है तो ) की 9 से 20 यानी 11 साल की नमाज़ ज़िम्मे बाकी हुई, हम इसी मिसाल की बुनियाद पे आगे ज़िक्र करते हैं, मसलन ज़ैद की 9 साल की नमाज़ क़ज़ा हैं तो
एक साल मे दिन 365 यानी एक साल मे 365 नमाज़ क़ज़ा हुई, वो भी हर एक वक्त की (यानी 365 फज्र, 365 असर वगेरा वगेरा) 9 साल मे 9X 365 =
3285 नमाज़े क़ज़ा हुई,वो भी एक वक़्त की, यानी, 3285 फज़र क़ज़ा, 3285 ही ज़ोहर क़ज़ा, 3285 ही अस्र और मगरिब क़ज़ा, 3285 ईशा और वित्र क़ज़ा, ये हुक्म लड़के के लिए है. लड़की हर माह मे नापाकी के दिन को कम करेगी, मसलन 4-6 दिन हर माह नापाक रहती है तो हर माह से 4 दिन (यानी कम वाले दिन) कम करे तो उसके लिए हर महीने 26 नमाज़ क़ज़ा है, जबकि लड़के के लिए पूरी 30
8 साल क़ज़ा करने वाली लड़की की क़ज़ा नमाज़ एक माह मे दिन 30 मगर 4 दिन नापाकी के हटाए तो दिन बचे 26 एक साल मे 26 X 12 = 312 (यानी एक साल मे 312 नमाज़ क़ज़ा हुई, वो भी एक वक़्त की) 8 साल मे दिन 312X8 =``` 2496, वो भी एक वक़्त की यानी, 2496 फज़र क़ज़ा , 2496 ही ज़ोहर क़ज़ा, 2496 ही अस्र और मगरिब क़ज़ा, 2496 ईशा और वित्र क़ज़ा, (और ये 4 दिन मिसाल के तोर पर कम किए गये)
हर लड़की या औरत अपने नापाकी के दिन कम से कम वाले खुद अंदाज़े से घटाए, हो सकता हो किसी के 6 दिन हो, तो वो 6 हर माह कम करे)
अब इस क़ज़ा नमाज़ पढ़ने का आसान और शॉर्ट तरीक़ा, सबसे आसान और बेहतर तरीक़ा है की
पहले एक ही वक़्त की नमाज़ अदा करे यानी पहले सभी फज्र पढ़ ले फिर इस तरह पूरी होने पर अगली (ज़ोहर) पढ़े, यानी जब भी क़ज़ा नमाज़ पढ़े तो पहले फज्र ही की क़ज़ा पूरी करता रहै, जब तक पूरी ना हो जाए
क़ज़ा नमाज़ की नियत कैसे करें इसके दो तरीक़े हैं (जिस तरह चाहै पढ़े)
1️⃣ नियत की मैने 2 रकाअत नमाज़ फज्र क़ज़ा जो मुझसे सबसे पहले क़ज़ा | हुई वास्ते अल्लाह के अल्लाहू अकबर
2️⃣ नियत की मैने 2 रकाअत नमाज़ फज्र क़ज़ा जो मुझसे सबसे आखरी क़ज़ा हुई वास्ते अल्लाह के .. अल्लाहू अकबर
(जिस वक़्त की पढ़े वही नाम ले, जोहर, अस्र वगेरा) नियत बाँधते ही सबसे पहले सूरह फातिहा शुरू कर दे, (यानी सना वगेरा छोड़ दे) फिर सूरत मिलाए फिर रुकु मे जा कर 1 बार तसबीह पढ़े, और सजदे मे जा कर भी एक बार ही तसबीह पढ़े, इसी तरह 2 रकाअत पढ़े और जब सलाम फेरने बैठे तो अत्तहिय्यात पूरी पढ़ कर, والہ محمد علی صلی اللھم पढ़े और सलाम फेर दे यानी बाद वाली दुआ भी ना पढ़े, इस तरह, ज़ोहर क़ज़ा की, अदा करता जाए, (4 रकाअत वाली मे आखरी की दो रकाअत मे सुरेःफातिहा ना पढ़े बल्कि 3 बार الله سبحان कहै, और वित्र मे, तीसरी मे फातिहा और सूरत ज़रूर पढ़े और तकबीर कह कर, कुनूत ना पढ़े बल्कि 1 या 3 बार لی اغفر رب कह ले 3 वक़्तों मे नमाज़े क़ज़ा अदा नही कर सकते ज़वाल के वक़्त, 2 तुलु ए आफताब के वक़्त, 3 मगरिब से 20 मिंट पहले तक, अस्र बाद क़ज़ा पढ़ सकते है, और जब मगरिब मे 20-25 मिंट. रह जाए तो ना पढ़े, क़ज़ा नमाज़ चुपचाप अदा करनी चाहिए, ना किसी को बताए, ना किसी के सामने अदा करे ना इसका ज़िक्र करे, और नमाज़ पढ़ता रहै कॉपी मे नोट रखे की कितने दिन की पढ़ ली
📚ह़वाला पर्दादारी, सफा नं.84
✒️मौलाना अब्दुल लतीफ नईमी रज़वी क़ादरी बड़ा रहुवा बायसी पूर्णियाँ बिहार
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