✿➺ सवाल
अगर कोई औरत को बच्चा पैदा हो तो क्या 40 दिन तक जब तक वो निफास से होती है इस दरमियान अपने शौहर के साथ हम बिस्तर हो सकती है या ऐसा करने पर दोनो मिया बीवी किसी गुनाह के हक़दार होंगे?
❀➺ जवाब
लोगो मे ये ग़लत फहमी है की निफास हर हाल मे 40 दिन तक रहता है, जबकि ये ग़लत है, निफास की मुद्दत ज़्यादा से ज़्यादा 40 दिन होती है, मगर इसका ये मतलब नही की सारी औरत 40 दिन में ही पाक हो, बल्कि अगर खून 10 दिन बाद रुक गया तो निफास ख़तम हो जाता है, और 11 वे दिन औरत पर सारे अहकाम की पेरवी ज़रूरी है, मसलन नमाज़, रोज़ा बगेरा, अगर किसी को 40 दिन ही खून आए तो निफास है, इससे ज़्यादा आए तो बीमारी तो जो दिन निफास के है, उन दिनो मे शोहर के साथ हमबिस्तरी करना हराम है, और अगर हलाल जाने तो कुफ्र है, बलके नाफ़ से गुटनो तक बा - शहवत छूना भी गुनाह है इसी तरह अगर बीवी के साथ सोने मे शहवत पर काबू ना कर सकेगा (और वती कर लेगा) तो उसके साथ सोना भी हराम और गुनाह बल्के अपना बिस्तर अलग रखे, और अगर जिमा ना करेगा तो साथ सो सकता है, बोसा वगेरा लेना जाइज़ है
📗बहारे शरीअत, सफा:382 पर है
हमबिस्तरी इस हालत (हैज़ और निफास) मे हराम है, ऐसी हालत मे हमबिस्तरी जाइज़ जानना कुफ्र है, नाफ़ से गुटनो तक औरत के बदन को मर्द अपने किसी हिस्से से छूना जाइज़ नही, (जबकि कपड़ा ना हो) (हाँ, अगर कपड़े के उपर से छुआ की गर्मी महसूस ना हुई तो जाइज़) नाफ़ से उपर और घुटनो से नीचे छूने या किसी तरह का नफा लेने में कोई हर्ज नहीं" (यानी नाफ़ से उपर सर तक पूरे जिसम पर बोसा ले सकता है, और हाथ भी जिस्म पर लगा सकता है, इसी तरह घुटनो से नीचे)
📚ह़वाला पर्दादारी, सफा नं.53
✒️मौलाना अब्दुल लतीफ नईमी रज़वी क़ादरी बड़ा रहुवा बायसी पूर्णियाँ बिहार
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