ग्रुप रज़ा कमेटी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
सवाल
क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसला में की ज़ैद और हिंदा, ज़ौजैन में बवक़्त निकाह जो महर मुतअय्यन हुई उसमें से कुछ अदा हो गई है और कुछ बाकी है अब हिंदा का इंतक़ाल हो गया अब ज़ैद हिंदा की गैर मौजूदगी में महर की बाकी रक़म किसको अदा करें जबकि ज़ैद का एक बेटा है जो हिंदा के ही शिक्म से है और ज़ैद की किफालत में है वज़ाहत फरमाएं मेहरबानी होगी ? नेज़ , यह भी बता दें कि उनके वरसा में कौन-कौन हैं ?
साईल इसरार अहमद खान रिज़वी मिमबरा
जवाब
शौहर पर महर अदा करना लाज़िम है जिस के हक़दार औरत के वरसा हैं
لہٰذا بعد تقدیم ماتقدم علی الإرث و انحصار ورثہ فی المذکورین
जितनी महर की रक़म बाक़ी है शौहर के ज़िम्मा उसको वारिसों के दरमियान तक़्सीम किया जाएगा और अगर मरहुमा के मां-बाप जिंदा है तो वह भी वारिसैन में शामिल होंगे और अगर बक़ैदे हयात नहीं हैं तो सिर्फ लड़का और शौहर के दरमियान तक़्सीम होगा
आपने सिर्फ शौहर और एक लड़का का वारिसैन में ज़िक्र किया है इसलिए महर के कुल रक़म का चौथाई हिस्सा शौहर को मिलेगा मांबक़िया बेटा को
जैसा कि हुजूर मुफ्ती ए बहरूल उलूम अलैही रहमां फरमाते हैं ⤵️
औरत के इंतकाल के बाद उसके महर में मैरास का क़ानून जारी होगा अगर औरत के औलाद ना हो तो शौहर का हिस्सा आधा होगा और औलाद हो तो चौथाई
📚 (फतावा ए बहरूल उलूम जिल्द शशूम)
والله اعلم بالصواب
✍🏻 अज़ क़लम हज़रत मुफ्ती मोहम्मद रज़ा अमजदी साहब किबला मद्दज़िल आली वन्नूरानी (दारुल उलूम रिज़वीया बड़ा बरियारपुर मोतिहारी मशरक़ी चंपारण बिहार) साकिन (हरपुरवा बाजपट्टी सीतामढ़ी बिहार)
✍🏻 हिंदी ट्रांसलेट मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)
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