ग्रुप रज़ा कमेटी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
सवाल
क्या फरमाते हैं उलमा ए दीन इस मसअले के बारे में कि एक सुन्नी अगर किसी वहाबी या देवबंदी से कुर्बानी करा ए तो कुर्बानी होगी या नहीं अगर नहीं होगी तो क्यों मुदल्लल जवाब इनायत फरमाए मेहरबानी होगी
साईल मोहम्मद शमसुद्दीन क़ादरी युपी
जवाब
फूक्हा ए किराम की तसरीहात के मुताबिक़ देवबंदी वहाबी अपने अक़ाईद की बुनियाद पर काफिर व मुर्तद हैं और काफ़िर व मुर्तद का ज़बीहा हराम व मुर्दार है
हुजूर सरकार ए आला हज़रत फतावा ए रज़विया में तहरीर फरमाते हैं ⤵️
बद अक़ीदा के हाथ का ज़बीहा मुर्दार व हराम है अब अगर कुर्बानी उस से अगर कराएंगे तो कुर्बानी नहीं होगी अगर किसी ने कराया तो वह जानवर हराम हो गया है और कुर्बानी नहीं होगी
📚 (फतावा रज़विया मोतरजीम जिल्द 20 सफा 246)
📚 (मखूज़ ज़िया ए शरियत जिल्द 1 सफा 26)
✍🏼 अज़ क़लम हजरत मौलाना मोहम्मद मुशाहिद रज़ा क़ादरी रज़वी साहब क़िबला
✍🏻 हिंदी ट्रांसलेट मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)
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